इजराइल-गाजा युद्ध के विरोध में अमेरिकी विश्वविद्यालयों के कैंपस इन दिनों आंदोलन के अखाड़े बने हुए हैं। अरे हम क्या चाहते, आजादी... फलस्तीन की आजादी... अरे छीन के लेंगे, आजादी... हक है हमारा, आजादी.... कुछ इस तरह के नारे हाल ही में अमेरिका की प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के कैंपस में गूंजे तो हंगामा हो गया।
कुछ इसी तरह के नारे कश्मीर की आजादी को लेकर कुछ साल पहले भारत की राजधानी नई दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गूंजे थे। जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान लगाए गए इन नारों को लेकर काफी बवाल हुआ था। कई छात्र नेताओं की गिरफ्तारियां भी हुई थीं। अब आजादी के नारे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में गूंज रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि फलस्तीन के समर्थन में छात्रों के आंदोलन की आग अमेरिका के पांच राज्यों के दर्जनों टॉप विश्वविद्यालयों तक फैल गई है। आंदोलनकारी छात्रों ने कैंपस में दर्जनों टेंट लगा दिए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि ताजा जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारी छात्रों और कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच सुलह वार्ता में कुछ सहमति बनने की बात कही जा रही है।
समाचार एजेंसी एएफसी के मुताबिक, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के न्यूयॉर्क कैंपस में छात्र नेता दर्जनों टेंट हटाने पर सहमत हो गए हैं। इसके बदले में प्रशासन ने टेंट हटाने के कार्रवाई 48 घंटों तक टालने पर सहमति जताई है।
इससे पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को टेंट हटाने के लिए आधी रात तक का समय दिया था। शुक्रवार को न्यूयॉर्क पुलिस ने 100 से ज्यादा आंदोलनकारी छात्रों को गिरफ्तार किया था। इस आंदोलन की वजह से यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का काम प्रभावित हुआ है।
बताया जा रहा है कि इस प्रदर्शन की आग न्यूयॉर्क, कैलीफोर्निया, कनेक्टिकट, मिशिगन और मैसाचूसिट्स तक फैल चुकी है। कई जगहों पर कॉलेजों में इजराइल विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को गाजा में युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और वहां हजारों नागरिकों की मौत का दोषी मान रहे हैं।
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