सत्ता के शीर्ष पद के लिए करीबी मुकाबले में तब्दील हो चुकी चुनावी जंग अब स्थानीय गलियारों ने निकलकर सुदूर मतदाताओं पर लक्षित हो गई है। एक-एक वोट पाने के लिए डेमोक्रेट और रिपब्लिकन हर वो कोशिश कर रहे हैं जो अंत समय पर की जा सकती है। बीते तीन-चार महीनों के दौरान कई करवटें बदल चुका चुनावी माहौल दोनों प्रमुख उम्मीदवारों का कड़ा इम्तिहान ले रहा है। इसी क्रम में शायद अंतिम परीक्षा उन मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की है दूसरे देशों में बसे हैं। इनमें से कुछ मतदाता परोक्ष विकल्पों के माध्यम से अपना प्रतिनिधि 'चुन चुके' हैं किंतु कम वोट करने वाले इस वर्ग में से अधिकाधिक को अपने पाले में लाने के लिए सियासी दल जी-जान लगा रहे हैं। यह सारी जद्दोजहद इसलिए है क्योंकि सात स्विंग राज्य नतीजों को निर्धारित करने में एक बार फिर से बेहद, बेहद अहम हो गये हैं।
नवीनतम सर्वेक्षणों में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रम्प पर मामूली बढ़त मिलती दिख रही है। इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) ने विदेशों में अमेरिकियों को वोट देने के लिए रजिस्टर करने और अपने मेल-इन वोटिंग तथा अन्य प्रयासों को बढ़ाने में मदद करने के लिए डेमोक्रेट्स अब्रॉड फंडिंग लगभग 300,000 डॉलर कर दी है। DNC का अनुमान है कि विदेशों में 16 लाख अमेरिकी मतदाता सात 'तथाकथित' स्विंग राज्यों में जीत-हार का सबब बन सकते हैं। लिहाजा, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन अभियानों की नजर एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, उत्तरी कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन के पात्र मतदाताओं पर है। DNC प्रवक्ता मैडी मुंडी का कहना है कि यह चुनाव हाशिये पर जीता जाएगा इसलिए हर एक वोट मायने रखता है। हम हर योग्य मतदाता का समर्थन पाकर यह चुनाव जीतने जा रहे हैं, चाहे वे कहीं भी रहते हों। मुंडी का यह कथन इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि एक वोट पाने के लिए जमकर पसीना बहाया जा रहा है।
राजनीतिक दलों और बाह्य विशेषज्ञों का मोटा-मोटा अनुमान है कि विदेशों में 45 से 90 लाख के बीच मतदाता हैं। कहने को यह बड़ी संख्या है लेकिन इस वर्ग के साथ चुनौती यह है कि इनमें से एक छोटा हिस्सा ही मतदान करता है। ऐसे में बार फिर वहीं लौट आती है। यानी किसी भी उम्मीदवार के लिए एक-एक वोट कीमती हो जाता है। स्विंग राज्यों में हैरिस और ट्रम्प के बीच चल रही स्पर्धा एक से दो प्रतिशत के अंतर के साथ हिचकोले खा रही है। लिहाजा, एक वोट भी बड़ी चोट कर सकता है। राष्ट्रपति बाइडेन के चुनाव मैदान से हटने के बाद जैसे ही हैरिस मुकाबले में आई थीं तो उसने समर्थन में तेज बयार चली थी। समाज के हर वर्ग और सत्ता को आधार देने वाले हर स्तंभ ने उनके प्रति माहौल बनाया था। माहौल अब भी है। कड़े मुकाबले वाले मैदानों में हैरिस अब भी बढ़त पर हैं। लेकिन बढ़त मामूली है। इसीलिए सबकी धड़कनें बढ़ी हुई हैं। ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। इसी तकाजे से करीबी मुकाबले में सबकी नजर 'दूर' जा टिकी है। जो उम्मीदवार दूर का लक्ष्य संधान करने में सफल होगा वह व्हाइट हाउस के करीब होगा।
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