कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो के चांसलर प्रदीप के. खोसला को इंडियन नेशनल साइंस अकैडमी (INSA) का विदेशी फेलो चुना गया है। INSA नई दिल्ली में विज्ञान और टेक्नोलॉजी के सभी क्षेत्रों में भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक राष्ट्रीय मंच है। प्रदीप खोसला को विदेशी फेलो चुने जाने का मतलब है कि उनके काम को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है। यह न सिर्फ उनके लिए बड़ी बात है बल्कि भारत के लिए भी गर्व की बात है। यह दिखाता है कि भारतीय वैज्ञानिक दुनिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होने वाली यह नियुक्ति खोसला की वैश्विक तकनीकी इनोवेशन और शोध को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका को उजागर करती है। खास तौर पर ऐसे क्षेत्रों में जो आधुनिक रोबोटिक्स और सर्जिकल टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाते हैं।
2024 में चुने गए छह विदेशी फेलो में से एक खोसला ने इस मान्यता के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, 'मैं भारतीय विज्ञान अकादमी का विदेशी फेलो चुने जाने पर बहुत सम्मानित और गर्व महसूस कर रहा हूं। मैं अपने मूल देश से वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों के एक सम्मानित समूह में शामिल हो रहा हूं। यह मान्यता न सिर्फ मेरी खुद की यात्रा को दर्शाती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के महत्व को भी उजागर करती है।'
प्रदीप खोसला ने यूसी सैन डिएगो को एक बहुत ही सफल संस्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका नेतृत्व और उनके शिक्षा और शोध के क्षेत्र में योगदान काफी प्रशंसनीय है। 2012 में यूसी सैन डिएगो के चांसलर बनने के बाद खोसला ने संस्थान में रूपांतरकारी वृद्धि की देखरेख की है। जिसमें 43,000 से ज्यादा छात्र और 1.73 बिलियन डॉलर का शोध बजट शामिल है। उनके नेतृत्व ने यूसी सैन डिएगो की स्थिति को एक वैश्विक शोध शक्ति के रूप में और मजबूत किया है।
खोसला ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर से अपनी स्नातक डिग्री और कार्नेगी मेलन से इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में मास्टर्स और पीएचडी की डिग्री हासिल की है।
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