भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले साल 14 फरवरी को अबूधाबी में BAPS हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन समारोह का निमंत्रण उन्होंने स्वीकार कर लिया है। अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर की ओर से पूज्य स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने निदेशक मंडल के साथ उद्घाटन समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली आकर हार्दिक निमंत्रण दिया है।
उद्घाटन की तैयारियों ने जोर पकड़ा। Image : BAPS
निदेशक मंडल की आत्मीयता से हर्षित होकर प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित मंदिर के लिए अपना उत्साहपूर्ण समर्थन व्यक्त करते हुए विनम्रतापूर्वक निमंत्रण स्वीकार कर लिया। पूज्य स्वामी ईश्वरचरणदास ने देश और दुनिया में उनके महत्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करते हुए पारंपरिक रूप से प्रधानमंत्री को माला पहनाकर और उन्हे भगवा शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया।
मंदिर में उकेरी गईं कलाकृतियां। Image : BAPS
पूरे भारत में तीर्थ स्थलों के नवीनीकरण और विकास के लिए प्रधानमंत्री की विशेष रूप से सराहना की गई। निदेशक मंडल ने इस कार्य को हाल की शताब्दियों में एक अद्वितीय उपलब्धि बताया। BAPS के मुताबिक भारत के प्रधानमंत्री के आवासीय कार्यालय 7 लोक कल्याण मार्ग पर शाम 6:30 से 7:25 बजे तक चली लगभग एक घंटे लंबी, गर्मजोशी भरी और अनौपचारिक बैठक महत्वपूर्ण संवाद का क्षण रही।
बैठक के दौरान वैश्विक सद्भाव के लिए अबू धाबी मंदिर के महत्व और वैश्विक मंच पर भारत के आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण चर्चा की गई। BAPS प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वास्थ्य की कामना की और उनकी असाधारण वैश्विक उपलब्धियों, विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात और अन्य मध्य पूर्वी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने को स्वीकार किया। प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी के नेतृत्व से दुनिया भर में भारतीय समुदाय में उपजे गौरव और प्रेरणा पर भी चर्चा की।
बैठक के दौरान स्वामी ब्रह्मविहरिदास ने प्रधानमंत्री मोदी को अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर से जुड़ी ताजा जानकारी साझा की। उन्होंने मंदिर की जटिल नक्काशी और सर्व-समावेशी भव्यता पर जोर देते हुए कहा कि उद्घाटन समारोह एक महान कार्यक्रम होगा और आने वाले समय के लिए उत्सव का एक सहस्राब्दी क्षण होगा।
इस पर पीएम मोदी ने कहा कि यह अवसर वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श को प्रतिबिंबित करेगा। यह एक आदर्श आध्यात्मिक स्थान होगा जो न केवल मान्यताओं और परंपराओं में निहित है बल्कि विविध संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है।
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