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ओलंपिक हॉकीः नॉकआउट दौर में पहले भारत, फिर बेल्जियम के मैच में अंपायर के फैसलों पर सवाल

हाल के दिनों में ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता, जहां किसी खिलाड़ी को दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में ऐसे किसी उल्लंघन के लिए रेड कार्ड दिखाया गया हो, जिसमें कम सजा दी जा सकती हो।

अंपायर के विवादित फैसलों के बावजूद भारत सेमीफाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा। / X @OlympicKhel

ओलंपिक 2024 में हॉकी का नॉकआउट दौर शुरू होते ही रविवार को अंपायरिंग निशाने पर आ गई। पहले क्वार्टर फाइनल में एक भारतीय खिलाड़ी को विवादास्पद तरीके से रेड कार्ड दिखाए जाने से अंपायरिंग के स्तर को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दूसरे क्वार्टर फाइनल में स्पेन की पिछले चैंपियन बेल्जियम पर 3-2 से चौंकाने वाली जीत से भी खिलाडी खुश नहीं हैं।

भारत और बेल्जियम दोनों में से किसी ने भी हालांकि खेल के अंत में आधिकारिक तौर पर विरोध दर्ज नहीं कराया, लेकिन दोनों टीमों के अधिकारियों ने नॉकआउट मैचों के आयोजन पर असंतोष की भावना जरूर जाहिर कर दी। 

ग्राउंड अंपायरों के पास थर्ड अंपायर से परामर्श करने का विकल्प होता है। वीडियो रेफरल के लिए भी टीमों के पास अधिकार होते हैं। इसके अलावा अंपायर किसी भी संदेह की स्थिति में थर्ड अंपायर की राय ले सकते हैं।

हाल के दिनों में ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता, जहां किसी खिलाड़ी को दूसरे क्वार्टर की शुरुआत में ऐसे किसी उल्लंघन के लिए रेड कार्ड दिखाया गया हो, जिसमें कम सजा दी जा सकती हो। दिलचस्प बात यह है कि पीड़ित टीम ने अपने विरोधियों को ड्रॉ पर रोककर बाकी मैच खेला और बाद में पेनल्टी शूटआउट राउंड में जीत हासिल की। 

स्पेन और बेल्जियम के बीच मैच के आखिरी दो मिनट में दोनों टीमों ने अंपायर के कई फैसलों पर विरोध जताए। अंपायर के विवादित फैसले किसी भी टीम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही उन खिलाड़ियों के करियर को भी प्रभावित कर सकते हैं जिनके खिलाफ फैसला दिया गया हो। 

हॉकी के प्रशंसक जतिंदर पाल सिंह का कहना है कि ऐसे विवादित फैसलों से बचने की जरूरत होती है। न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि अंपायर भी खेल को रोचक और न्यायसंगत बनाने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। 

पहले हाफ में नाकाम रहने के बाद स्पेन ने 40वें मिनट में जोस मारिया के गोल से बेल्जियम को बढ़त दिलाई। बेल्जियम के आर्थर डि स्लूवर ने जवाबी हमला करते हुए 41वें मिनट में स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। 

55वें मिनट में मार्क रेने ने गोल करके स्पेन को 2-1 से आगे कर दिया लेकिन मार्क मिरालेस ने 57वें मिनट में गोल दागकर स्पेन की स्थिति मजबूत कर दी। बेल्जियम द्वारा अंपायरिंग के फैसलों पर लगातार विरोध जताने के बीच 58वें मिनट में एलेक्जेंडर हेंडिकक्स के पेनल्टी कार्नर पर गोल से अंतिम स्कोर 2-3 हो गया। 

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