भारत में एक पॉपुलर स्कीम है जिसका नाम एलआरएस योजना है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुरू की गई Liberalised Remittance Scheme (LRS) साल 2004 में लाई गई थी। इसके तहत व्यक्ति किसी भी वैध करंट या कैपिटल अकाउंट से प्रत्येक वित्त वर्ष में 50,000 डॉलर तक भेज सकते हैं। इस पर किसी प्रकार का कर नहीं लगता है। शुरुआत में इस योजना के तहत 25,000 डॉलर ही भेजे जा सकते थे। धीरे-धीरे संशोधन के साथ यह रकम बढ़ती गई।
LRS योजना के तहत बाहर भेजी जाने वाली धनराशि वित्त वर्ष 2024 की अप्रैल से दिसंबर 2023 की अवधि में 20.22 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 24.80 अरब डॉलर हो गई है। इस योजना के तहत मनी फ्लो मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रा सेगमेंट से बढ़ा। साथ ही इक्विटी, लोन निवेश और करीबी रिश्तेदारों द्वारा भेजी गई रकम के कारण भी इसमें वृद्धि हुई है।
आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 को समाप्त 9 महीने की अवधि के दौरान एलआरएस के तहत रकम 24.80 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 20.63 अरब डॉलर से अधिक है। बाहर से भेजी गई धनराशि में सालाना स्तर पर वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में 7.89 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में यह 6457.72 मिलियन डॉलर थी।
रिपोर्ट के मुताबिक करीबी रिश्तेदारों के लिए भेजी जाने वाली रकम में लगभग 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। यह बढ़कर 368.4 करोड़ डॉलर पहुंच गई। वहीं, विदेश में अचल संपत्ति खरीदने के लिए भेजी गई रकम 49.67 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 18.375 करोड़ डॉलर हो गया। इस बीच, बाहर भेजी जाने वाली रकम के सबसे बड़ी कैटेगरी अंतरराष्ट्रीय यात्रा में 22.74 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो बढ़कर 13.40 अरब डॉलर हो गया। एक साल पहले इसी अवधि में यह 10.92 अरब डॉलर ही था।
वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 9 महीनों की अवधि में इक्विटी और ऋण योजनाओं में निवेश 56.8 प्रतिशत वृद्धि के साथ 109.091 करोड़ डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले 69.713 करोड़ डॉलर ही था।
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