एक ताजा अध्ययन के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के बाहर विदेशी मूल के हिंदुओं की सबसे बड़ी संख्या 26 लाख है। यह वैश्विक हिंदू प्रवासी आबादी का 19 प्रतिशत है। प्यू रिसर्च सेंटर के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
हिंदू प्रवासी वैश्विक प्रवासी आबादी के एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सभी अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का केवल 5 प्रतिशत है। 2020 तक 13 लाख हिंदू अपने जन्म वाले देशों के बाहर रह रहे थे।
वैश्विक स्तर पर हिंदू प्रवासियों के लिए सबसे आम प्रवास मार्ग भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका है। लगभग 18 लाख हिंदुओं ने अमेरिका की यात्रा की है जो 2020 तक अमेरिका में सभी भारतीय प्रवासियों का 61 प्रतिशत है।
उत्तरी अमेरिका में 1990 और 2020 के बीच हिंदू प्रवासियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। इनकी संख्या 8 लाख से बढ़कर 30 लाख हो गई। यह 267 प्रतिशत की वृद्धि है। यह तीव्र वृद्धि मुख्य रूप से अमेरिका में भारत में जन्मे हिंदुओं की बढ़ती आबादी के कारण हुआ।
यह प्रवृत्ति भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अंदर और बाहर हिंदुओं के अन्य प्रवासन पैटर्न के साथ काफी हद तक 1947 में भारत के विभाजन का परिणाम है। उपमहाद्वीप को मुख्य रूप से हिंदू भारत और मुख्य रूप से मुस्लिम पाकिस्तान में विभाजित किया गया था। इसी के साथ बांग्लादेश का उदय हुआ। 1971 में पाकिस्तान से अलग राष्ट्र के रूप में।
भारत के विभाजन के दौरान सीमाओं के पुनर्निर्धारण के कारण महत्वपूर्ण प्रवासन हुआ। पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले लाखों हिंदू भारत चले गए जबकि भारत से लाखों मुसलमान पाकिस्तान या बांग्लादेश में जा बसे।
भारत के अलावा हिंदू प्रवासियों का सबसे बड़ा समूह नेपाल और भूटान में है। हालाँकि इन देशों की आबादी अपेक्षाकृत कम है और ये हिंदू प्रवासियों के लिए प्रमुख गंतव्य नहीं हैं। भारत के पड़ोसी देशों में केवल पाकिस्तान ही हिंदू प्रवासियों के लिए शीर्ष 10 गंतव्यों में से एक है, जहां 940,000 हिंदू रहते हैं।
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