बच्चों के सशक्तीकरण और सांस्कृतिक शिक्षा के लिए समर्पित एक समुदाय-संचालित संगठन वनमाइंड के दिवाली उत्सव में युवाओं के बीच सांस्कृतिक और सामुदायिक एकता की अनूठी झांकी देखने को मिली। उत्सव में युवा प्रतिभागियों की रचनात्मकता, सांस्कृतिक जागरूकता और सामुदायिक भावना पर प्रकाश डाला गया। 'सशक्तीकरण की यात्रा' थीम पर आयोजित इस समारोह में बच्चों को सशक्त बनाने, उनकी रचनात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित करने और दिवाली के सार का जश्न मनाने के लिए कई गतिविधियां आयोजित की गईं।
दिवाली उत्सव में मुख्य अतिथि कांग्रेसी बिल फोस्टर और शिकागो के भारतीय महावाणिज्य दूतावास श्री सोमनाथ घोष की गरिमामयी उपस्थिति रही। दोनों नेताओं ने युवा प्रतिभाओं को सशक्त बनाने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए वनमाइंड की प्रतिबद्धता की सराहना की। कांग्रेसी फोस्टर ने युवा सशक्तीकरण के लिए संगठन के समर्पण की प्रशंसा की और वनमाइंड को ऐसे अवसर जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे युवाओं को चमकने का मौका मिले। महावाणिज्य दूतावास घोष ने वनमाइंड के मिशन के लिए अपनी सराहना साझा की और अपनी विरासत को अपनाने और उसका जश्न मनाने के लिए बच्चों के उत्साह की प्रशंसा की।
उत्सव के हिस्से के रूप में वनमाइंड ने एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय के छात्रों को दिवाली के महत्व पर विचार करने के लिए प्रेरित किया गया। कांग्रेसी फोस्टर और शिकागो के भारतीय महावाणिज्य दूतावास श्री सोमनाथ घोष ने विजेताओं और प्रतिभागियों को उनके प्रयासों और रचनात्मकता को पहचानते हुए सम्मानित किया।
संगीत से समावेशिता
समावेशिता के प्रति वनमाइंड की प्रतिबद्धता को युवा संगीतकारों के एक समूह द्वारा खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया। युवाओं ने लगभग 200 उपस्थित दर्शकों के लिए प्रदर्शन किया। सम्मान और एकता के एक शक्तिशाली संकेत में बच्चों ने अमेरिकी और भारतीय दोनों राष्ट्रगान बजाए। इसके बाद 'वंदे मातरम' की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। उनके प्रदर्शन ने अपनेपन की भावना, विविध पृष्ठभूमियों के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक विरासत के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देने के वनमाइंड के मिशन को रेखांकित किया।
रामलीला के माध्यम से हिंदू संस्कृति को जीवन में लाना
उत्सव के सबसे प्रभावशाली हिस्सों में से एक 20 मिनट की रामलीला थी। इसमें 5 से 15 वर्ष की आयु के बच्चों ने भाग लिया। इस मंचन में भगवान राम की पौराणिक कहानी को जीवंत किया गया, जिसमें उनके वनवास और रावण के साथ अंतिम युद्ध जैसे महत्वपूर्ण क्षण शामिल थे। चुनौतीपूर्ण होते हुए भी युवा कलाकारों ने बड़ों के प्रति सम्मान और समानता जैसे हिंदू मूल्यों से जुड़कर अपनी भूमिकाएं निभाईं।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login