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370 को लेकर पाकिस्तान के इशारे पर बौखलाया OIC, भारत ने दी नसीहत

भारत ने आर्टिकल 370 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के बयान को खारिज करते हुए कहा कि यह गलत सूचना और गलत इरादा दोनों है। ओआईसी सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले के इशारे पर ऐसा कर रहा है, जो उसकी कार्रवाई को और भी संदिग्ध बनाता है।

Photo by Isa Macouzet / Unsplash /

भारतीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आर्टिकल 370 को जम्‍मू-कश्‍मीर से हटाने के फैसले को सही ठहराया है। इसके बाद पाकिस्‍तान के रोने-धोने पर इस्‍लामिक देशों का संगठन ओआईसी भी मामले में कूद पड़ा । सऊदी अरब की अगुवाई वाले ओआईसी के महासचिव के कार्यालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि भारत एकतरफा उठाए गए सभी कदमों को वापस ले। इस पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है।

भारत ने जम्मू-कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सामान्य सचिवालय द्वारा जारी बयान को खारिज करते हुए कहा कि यह गलत सूचना और गलत इरादा दोनों है। भारत ने कहा कि ओआईसी मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करने वाले और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले के इशारे पर ऐसा कर रहा है, जो उसकी कार्रवाई को और भी संदिग्ध बनाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, 'इस तरह के बयान केवल ओआईसी की विश्वसनीयता को कम करते हैं।'

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले को बरकरार रखा गया था। मंगलवार को ओआईसी के जनरल सेक्रेटेरिएट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जताई थी। एक बयान में, इसने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता की भी पुष्टि की।

गौरतलब है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को सही ठहराकर इस विभाजनकारी और भेदभाव करने वाले संवैधानिक व्यवस्था को हमेशा के लिए इतिहास में दफन कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है।

पीएम मोदी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का यह कहना पूरी तरह से सही है कि 5 अगस्त 2019 को हुआ फैसला संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था, न कि इसका उद्देश्य विघटन था। अदालत ने इस तथ्य को भी माना है कि अनुच्छेद 370 का स्वरूप स्थायी नहीं था।

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