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अमेरिका में सरकारी कर्मचारियों का प्रदर्शन कैसे सुधरे, मितुल देसाई ने बताए मंत्र

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन में काम कर चुके मितुल देसाई ने कहा कि मैंने तीन साल तक सरकार में काम किया है। मैंने महसूस किया है कि प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारियों का प्रदर्शन सुधारने और उन्हें मोटिवेट करने के लिये इन्सेंटिव जैसे कई तरीके होते हैं, जबकि पब्लिक सेक्टर में इसकी कमी है।

Desis Decide समिट के दौरान पैनल चर्चा में भाग लेते किरण आहूजा (बाएं) और मितुल देसाई। / Screengrab/New India Abroad

अमेरिका की पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का प्रदर्शन सुधारना है तो वहां काम करने वाले कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ पर काम करना होगा। ये कहना है कि केयर हैक के सह-संस्थापक मितुल देसाई का है। मितुल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन में भी काम कर चुके हैं।

मितुल देसाई इंडियन-अमेरिकन इम्पैक्ट संस्था की तरफ से आयोजित Desis Decide समिट के दौरान एक पैनल चर्चा में पब्लिक सेक्टर के प्रदर्शन को लेकर अपनी बात रखी। इस समिट में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी गेस्ट स्पीकर के रूप में शामिल हुई थीं। 

अमेरिका के पर्सनेल मैनेजमेंट ऑफिस में पूर्व निदेशक किरण आहूजा के साथ बैठक में मितुल देसाई ने कहा कि पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर में फर्क होता है। हालांकि चाहे आप किसी सरकारी एजेंसी में हों या गैर-लाभकारी संस्था में, आप कभी-कभी उन लोगों की इमोशनल एनर्जी का सामना करते हैं जिन्हें आप सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

देसाई ने कहा कि मैंने तीन साल तक सरकार में काम किया है। मैंने महसूस किया है कि प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारियों का प्रदर्शन सुधारने और उन्हें मोटिवेट करने के लिये इन्सेंटिव जैसे कई तरीके होते हैं, जबकि पब्लिक सेक्टर में इसकी कमी महसूस होती है। आपके पास ज्यादा कैश, स्टॉक बोनस या मोटी वेतन वृद्धि जैसी सुविधाएं नहीं होतीं और जवाबदेही भी कम होती है। ऐसे में सवाल ये है कि आप उच्च स्तर का परफॉर्मेंस कल्चर कैसे विकसित कर सकते हैं? 

देसाई कहते हैं कि इस समस्या का समाधान बॉस और कर्मचारियों के बीच इमोशनल कनेक्ट में है। इसके लिए कई चीजों पर काम करने की जरूरत होती है। आपको लोगों की जरूरतें समझनी होती हैं, उनका पक्ष जानना होता है, उनके प्रति भावनात्मक रवैया रखना होता है। अपनेपन की इस भावना का असर ये होता है कि वो आपके लिए आगे बढ़कर काम करने को तैयार रहते हैं। 

पैनल चर्चा के दौरान किरण आहूजा ने अमेरिकी सरकार के अधिकारी के रूप में अपने अनुभवों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह के टाउन हॉल में अपने व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में बात करने में कोई हिचक नहीं है। मैं इस बात को नहीं छिपाती कि 20 साल पहले मेरे भाई ने आत्महत्या कर ली थी। वह दक्षिण में कल्चर को लेकर बड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे। मुझे लगता है कि अपनी कहानियों को साझा करना महत्वपूर्ण होता है।

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