पिछले कुछ वर्षों में विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। दुनिया भर में लगभग 3.2 करोड़ एनआरआई और ओवरसीज सिटिजंस ऑफ इंडिया (ओसीआई) रहते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा भारतवंशी खाड़ी देशों में हैं। उसके बाद सिंगापुर, अमेरिका, कनाडा और यूके का नंबर आता है। हालांकि भारतीय डायस्पोरा में बढ़ोतरी के बावजूद एनआरआई और ओसीआई के सामने भारतीय टैक्स सिस्टम एक चुनौती बना हुआ है।
SBNRI ने भारतवंशियों के सामने आने वाली टैक्स परेशानियों को लेकर हाल ही में एक सर्वे किया था। इसकी मानें तो भारतीय मूल के लोगों को सबसे बड़ी चिंता डबल टैक्सेशन को लेकर रहती है। ऑस्ट्रेलिया में 14.11 प्रतिशत, यूके में 13.10 प्रतिशत, अमेरिका में 8.06 प्रतिशत एनआई इसे सबसे बड़ी चुनौती की तरह देखते हैं। इसके अलावा दूसरी बड़ी चुनौती विदेश में रहते हुए टैक्स दस्तावेज हासिल करने की होती है। अमेरिका में 12.10 प्रतिशत, यूके में 9.05 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया में 6.02 प्रतिशत एनआरआई इस समस्या को झेलने का दावा करते हैं।
एनआरआई, ओसीआई के बीच प्रमुख इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में मशहूर SBNRI के प्रवक्ता मुदित विजयवर्गीय कहते हैं कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद टैक्स संबंधी दिक्कतें बनी हुई हैं। इन चुनौतियों को देखते हुए एनआरआई समुदाय के लोगों को एक्सपर्ट सलाह लेना एक तरह से जरूरी हो जाता है।
सर्वे से एनआरआई समुदाय की टैक्स रिपोर्टिंग आदतों के बारे में भी जानकारी मिली है। कुछ एनआरआई ऐसे हैं, जो भारत में हुई अपनी कमाई को ही दर्शाते हैं। अमेरिका के करीब 10 प्रतिशत एनआरआई ऐसा करते हैं। वहीं अन्य अपनी घरेलु और विदेशी दोनों तरह की इनकम के बारे में बताते हैं। ऐसे भारतवंशियों में 6 प्रतिशत कनाडा में, अमेरिका व सिंगापुर में 4 प्रतिशत एनआरआई हैं।
टैक्स बचाने के साधनों का इस्तेमाल करने में भी एनआरआई पीछे नहीं हैं। यूके व ऑस्ट्रेलिया में 7 फीसदी एनआरआई ऐसा करते हैं। वहीं कनाडा व सिंगापुर में ऐसे लोगों की संख्या लगभग 5 फीसदी है। टैक्स रिटर्न दाखिल करने की अहमियत जानने के बावजूद कुछ एनआरआई ऐसे भी हैं, जो खुद मानते हैं कि वे भारत में रिटर्न नहीं भरते। इनमें पांच प्रतिशत सिंगापुर में, 4 प्रतिशत यूके और 2 प्रतिशत अमेरिका में हैं। रिटर्न भरने वालों में कुछ ही ऐसे हैं, जो खुद ऐसा करते हैं बाकी प्रोफेशनल सेवाएं लेना पसंद करते हैं।
टैक्स के अलावा इस सर्वे में ये भी जानने की कोशिश की गई कि भारतीय मूल के लोग विदेशों रहना क्यों पसंद करते हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण अच्छी नौकरी या रोजगार है। यूके में 11 फीसदी और कनाडा में 9 फीसदी अच्छी नौकरी को वहां रहने की वजह बताते हैं। उच्च शिक्षा की वजह से विदेश में बसने वाले एनआरआई में 9 प्रतिशत सिंगापुर में, 6 प्रतिशत कनाडा में और पांच प्रतिशत यूके में हैं।
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