भारत से बड़ी संख्या में छात्र विदेशों में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। अभी तक ज्यादातर छात्र अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे पारंपरिक देशों में पढ़ाई को तवज्जो देते थे, लेकिन अब उनके पसंदीदा उभरते हुए ठिकानों में कई नए देश शामिल हो रहे हैं।
जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, आयरलैंड, दुबई, सिंगापुर, न्यूजीलैंड और माल्टा जैसे देश भारतीय छात्रों को काफी आकर्षित कर रहे हैं। इसकी वजह सुव्यवस्थित वीजा प्रक्रियाएं, सूचना तक अच्छी पहुंच और बढ़ती आय आदि हैं।
जर्मनी की उत्कृष्ट शिक्षा प्रणाली की बदौलत पिछले चार वर्षों में भारतीय छात्रों की संख्या 107% तक बढ़ गई है। यहां पर विदेशी छात्रों को कम लागत में शिक्षा, आसान वीज़ा प्रक्रिया और विभिन्न प्रकार के कोर्स जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
फ्रांस का लक्ष्य साल 2030 तक 30,000 भारतीय छात्रों का स्वागत करना है। यहां पढ़ाई के कई फायदों में से एक सुव्यवस्थित वीज़ा प्रक्रिया है, जिसमें स्नातकोत्तर छात्रों के लिए 5 साल का अल्पकालिक शेंगेन वीज़ा भी शामिल है। वीज़ा आमतौर पर एक हफ्ते के अंदर मिल जाता है। लंबी अवधि के वीज़ा में करीब एक महीने का समय लगता है।
स्पेन में तीन वर्षों के भीतर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की आबादी में लगभग 12% की बढ़ोतरी हुई है। यह देश पर्यटन, वास्तुकला और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जैसे अध्ययन के लोकप्रिय क्षेत्रों के अलावा एक समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। यहां पर वीज़ा प्रक्रिया में आमतौर पर 30 से 60 दिन लगते हैं। रहने की लागत भी आम तौर पर ज्यादा नहीं होती।
दुबई अपने महानगरीय माहौल की वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बीच लोकप्रिय है। बड़ी संख्या में भारतीय छात्र दुबई में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए जा रहे हैं। भारतीय छात्रों के लिए दुबई का वीज़ा मिलने में लगभग 15 से 20 दिन लगते हैं। बहुत से छात्र यहां अपार्टमेंट शेयर करके रहते हैं।
यूरोपीय देश माल्टा अपने किफायती जीवन यापन खर्च और अंग्रेजी के इस्तेमाल की वजह से लोकप्रिय हो रहा है। आमतौर पर यहां विदेशी छात्र व्यवसाय, पर्यटन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कोर्स की पढ़ाई करने आते हैं। वीज़ा में 7 से 15 दिन लगते हैं।
इनके अलावा आयरलैंड ने 2010 से 2020 के बीच अपने यहां विदेशी छात्रों की संख्या तीन गुना कर ली है। 2021 में वहां पर 25,000 से अधिक विदेश छात्र पढ़ने के लिए गए। सिंगापुर में जुलाई 2021 से मार्च 2022 के बीच भारतीय छात्रों की संख्या 1,500 से बढ़कर 10,000 हो चुकी है।
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