वर्ष 2001 में आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी अर्थशास्त्री ए माइकल स्पेंस ने वैश्विक स्तर पर डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त वास्तुकला का शिखर हासिल करने के लिए भारत की तारीफ की है। स्पेंस पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की बेनेट यूनिवर्सिटी में थे। वहीं पर उन्होंने एक प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की हैसियत को स्वीकार किया और कहा कि इसमें उच्चतम विकास हासिल करने की क्षमता है।
स्पेंस ने विशाल क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करते हुए भारत के डिजिटल परिदृश्य के खुलेपन, प्रतिस्पर्धात्मकता और समावेशिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव पर जोर देते हुए इसे 'शासन परिवर्तन' बताया।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद के विकासक्रम के मद्देनजर स्पेंस ने 70 साल पुरानी वैश्विक प्रणाली टूटने का जिक्र किया और इसके लिए महामारी, भू-राजनीतिक तनाव और जलवायु परिवर्तन जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया। विविध आपूर्ति शृंखलाओं की आवश्यकता पर जोर देते हुए स्पेंस ने कहा कि समय ऐसा रहा कि विश्व का पूर्वी हिस्सा प्रमुखता प्राप्त कर रहा था और वैश्विक शासन अधिक जटिल होता जा रहा था।
हालांकि तमाम चुनौतियों के बीच स्पेंस ने उनका मुकाबला करने और वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रगति के माध्यम से मानव कल्याण को बढ़ाने के बारे में आशावाद व्यक्त किया। उन्होंने सौर ऊर्जा की प्रतिस्पर्धी कीमत और डीएनए अनुक्रमण की लागत में भारी कमी जैसे उदाहरण दिए।
स्पेंस ने साफ तौर पर कहा कि जिस देश की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से विकास करने की क्षमता है वह भारत है। भारत ने दुनिया में अब तक की सबसे अच्छी डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त वास्तुकला विकसित की है। भारत के ये क्षेत्र खुले, प्रतिस्पर्धी और विशाल क्षेत्रों में समावेशी सेवाएं प्रदान करने वाले हैं।
अपनी भारत यात्रा के दौरान स्पेंस कई संस्थानों में गये और इसी दौरान उनका आईआईएम बैंगलौर भी जाना हुआ। उनकी मुलाकात भारत के उद्यमिता मंत्री राजीव चंद्रशेखर से भी हुई। चंद्रशेखर ने स्पेंस के साथ उस मुलाकात को लेकर सोशल मीडिय पर लिखा भी था।
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