ADVERTISEMENTs

इस साल का इरास्मस पुरस्कार न्यूयॉर्क बेस्ड राइटर अमिताव घोष के नाम

कोलकाता में साल 1956 में जन्मे अमिताव घोष ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से सामाजिक मानव विज्ञान की पढ़ाई की है। उन्होंने इमिग्रेशन, डायस्पोरा और सांस्कृतिक पहचान जैसे विषयों पर मानवीय पहलू को समाहित करते हुए कई ऐतिहासिक उपन्यास और पत्रकारीय निबंध लिखे हैं। 

अमिताव घोष ने सम्मान मिलने पर खुशी जताई है। / फोटो साभार विकिपीडिया

न्यूयॉर्क में रहने वाले भारतीय मूल के लेखक अमिताव घोष (Amitav Ghosh) को इरास्मस पुरस्कार 2024 (Erasmus Prize) से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। यह पुरस्कार डच सांस्कृतिक संस्थान प्रेमियम इरास्मियानम फाउंडेशन (Praemium Erasmianum Foundation) द्वारा प्रदान किया जाता है।

भारतीय मूल के अमिताव घोष ने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करके मैं खुद को बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस पुरस्कार के तहत  163,947.75 अमेरिकी डॉलर (150,000 यूरो) की राशि प्रदान की जाती है। पुरस्कार 2024 की शरद ऋतु में प्रदान किया जाएगा। 
 



जारी बयान के अनुसार, अमिताव घोष को जलवायु परिवर्तन के अभूतपूर्व वैश्विक संकट पर इमेजिन द अनथिंकेबल थीम में उनके योगदान के लिए मान्यता मिली। घोष ने इस सवाल पर गहराई से विचार किया है कि अस्तित्व के इस खतरे को लेकर किस तरह न्याय किया जा सकता है। वह अतीत के बारे में सम्मोहक कहानियों के माध्यम से अनिश्चित भविष्य को स्पष्ट करके एक उपाय दिखाते हैं। वह अपनी कलम का इस्तेमाल करके यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि जलवायु संकट असल में एक सांस्कृतिक समस्या है जो कल्पना की कमी के परिणामस्वरूप जन्म लेता है।

कोलकाता में साल 1956 में जन्मे घोष ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से सामाजिक मानव विज्ञान की पढ़ाई की है। उन्होंने इमिग्रेशन, डायस्पोरा और सांस्कृतिक पहचान जैसे विषयों पर मानवीय पहलू को समाहित करते हुए कई ऐतिहासिक उपन्यास और पत्रकारीय निबंध लिखे हैं। 

अमिताव घोष को 2007 में भारत सरकार की तरफ से पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वह 2009 में रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर के फेलो रहे हैं। 2015 में उन्हें फोर्ड फाउंडेशन आर्ट ऑफ चेंज फेलो नामित किया जा चुका है। 2018 में उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। 2019 में उन्हें मास्ट्रिच विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल चुकी है। फॉरेन पॉलिसी पत्रिका द्वारा उन्हें सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक विचारकों में से एक के रूप में मान्यता दी जा चुकी है।

उनका पहला उपन्यास द सर्कल ऑफ रीज़न 1986 में जारी हुआ था। उन्होंने द शैडो लाइन्स, द कलकत्ता क्रोमोसोम, द ग्लास पैलेस, द हंग्री टाइड और गन आइलैंड जैसी रचनाएं की हैं। नॉन-फिक्शन में उनकी प्रमुख कृतियों में इन एन एंटीक लैंड, डांसिंग इन कंबोडिया एंड एट लार्ज इन बर्मा, काउंटडाउन और द इमाम एंड द इंडियन आदि प्रमुख हैं। 

उन्होंने द इबिस ट्रिलजी भी तैयार की है, जिसकी पहली किस्त सी ऑफ पॉपीज़ को 2008 के मैन बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया था। इसके बाद रिवर ऑफ स्मोक और उसके बाद फ्लड ऑफ फायर को यह सम्मान मिला था। 
 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

Related