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नया वर्ष, नई उम्मीद और नये संकल्प

उम्मीद है कि नए साल में वैश्विक नेतृत्व नए जोश के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होगा। और इसकी शुरुआत करने का एक तरीका उन जड़ और पुराने विचारों को त्यागना है जो समय के साथ कदमताल नहीं करते।

नए साल की सुबह आमतौर पर अपने साथ एक तरह का आशावाद लेकर आती है कि किसी भी रूप में नया वर्ष उस पुराने से बेहतर होगा जिसे अभी-अभी अलविदा कहा गया है। फिर भी पटाखों के शोर और एक नई योजना के लिए शैंपेन के गिलासों की खनक के बीच प्राय: लोगों को भूलने की वृत्ति होती है। आगामी का आशावाद बीते हुए को बहुत जल्द बिसरा देता है। हमारा विचार भी नए साल में निराशा और हताशा के हालात में प्रवेश करने का नहीं है। हमारा विचार जमीनी हकीकत को मजबूती से पकड़ने का है। साथ ही यह भी कि 2024 में इस दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के वास्ते क्या किया जा सकता है और क्या किया जाना चाहिए इसका भी आकलन किया जाएगा। आज विश्व में संघर्षों की संख्या गिनना उतना ही कठिन है जितना यह पता लगाना कि वास्तव में कितने लोग मारे गये। शायद दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से सैकड़ों-हजारों या लाखों में। लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि एक भी महाद्वीप अशांति से नहीं बचा है। यह आकलन खासा निराशाजनक है कि दुनिया के 2.5 अरब बच्चों में से लगभग 20 प्रतिशत बच्चे सशस्त्र संघर्ष क्षेत्रों में रह रहे हैं। अभी भी रोंगटे खड़े कर देने वाला तथ्य यह है कि युवा लड़कियां वहशी गुंडों के हाथों हिंसा और बलात्कार का शिकार होती हैं। यदि 2023 में अनुमानित 11 करोड़ लोग जबरन विस्थापित हुए तो लगभग 3 करोड़ 70 लाख को शरणार्थी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कहा जाता है कि एक दशक से अधिक समय से चल रहे गृहयुद्ध के कारण अकेले सीरिया में कुल वैश्विक शरणार्थी संख्या का 25 प्रतिशत हिस्सा है। हाल के दिनों में दुनिया का ध्यान यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर है जो फरवरी 2022 में एक 'विशेष सैन्य अभियान' के रूप में शुरू हुआ था। दुनिया की नजर 7 अक्टूबर से यहूदी राज्य पर हमास के आतंकवादी हमले के जवाब में गाजा में इज़राइल के गहन अभियान पर भी टिकी है। कई लोगों का मानना ​​है कि यूक्रेनी संघर्ष इस हद तक गतिरोध पर पहुंच गया है कि कोई भी पक्ष कमजोर समझे जाने के डर से कुछ भी खुलकर कहने का साहस नहीं कर रहा। हालंकि युद्धविराम की मांग करने वाले चारों ओर हैं। और बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार इस एहसास में कि वह गाजा में जब चाहे बमबारी कर सकती है या हमास की सुरंगों को समुद्री पानी से भर सकती है। मगर सुरंग के छोर पर कोई रोशनी न होगी। नई सुबह की शुरुआत अंधेरे में सीटी बजाने या पर्याप्त कार्य न करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की निंदा करने से नहीं होगी। अंततः यह राष्ट्र राज्यों पर निर्भर करता है कि वे गलतियों को सही करने के लिए राजनीतिक साहस प्रदर्शित करें क्योंकि इनमें से अधिकांश जानबूझकर और द्वेषवश की जाती हैं। उम्मीद है कि नए साल में वैश्विक नेतृत्व नए जोश के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होगा। और इसकी शुरुआत करने का एक तरीका उन जड़ और पुराने विचारों को त्यागना है जो समय के साथ कदमताल नहीं करते।

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