भारतीय मूल के एक अमेरिकी ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने का कारनामा कर दिखाया है। न्यूजर्सी के लियोनिया में रहने वाले जफर इस्माइल ने 29,032 फीट ऊंचे माउंट एवरेस्ट को कदमों तले नाप दिया है।
इस्माइल ने इस कामयाबी के बारे में बताया कि माउंट एवरेस्ट की चोटी पर खड़ा होना मेरे बचपन का सपना था। मेरा सपना अब जाकर साकार हुआ है। 19 मई 2024 को नेपाली समयानुसार सुबह 7:24 बजे मैं आखिरकार माउंट एवरेस्ट के शिखर खड़ा था।
एवरेस्ट की ट्रेनिंग के तौर पर इस्माइल ने लोबुचे चोटी पर 20,075 फीट की चढ़ाई की थी। उसके बाद उन्होंने एवरेस्ट का रुख किया। पर्वतारोही बेस कैंप में लौटने से पहले कैंप-3 जैसे ऊंचे शिविरों पर चढ़ते हैं। इस्माइल और उनकी टीम ने भी ऐसा ही किया। इसके बाद वे 18,600 फीट ऊंचे पुमोरी हाई कैंप में पहुंचे। ऐवरेस्ट का अपना सपना पूरा करने के लिए इस्माइल ने अपनी सेहत को भी दुरुस्त किया। इसके लिए उन्होंने पिछले साल नवंबर में NYC मैराथन पूरा की। कई अन्य हाफ मैराथन में भी हिस्सा लिया।
इस्माइल ने बताया कि साढ़े ग्यारह घंटे की पस्त कर देने वाली चढ़ाई के बाद जब हम सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचे तो बहुत खुश और उत्साहित थे। इस खुशी में इतनी लंबी और थकाऊ चढ़ाई की थकान छूमंतर हो गई। उन्होंने बताया कि शिखर से लौटना अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि फ्रॉस्टबाइट और स्नो ब्लाइंडनेस की वजह से मेरी नजर धुंधली हो गई थी।
इस्माइल ने बताया कि हिलेरी स्टेप से उतरना और फिर साउथ की तरफ जाना उस दिन का सबसे डरावना दौर था। मुझे कैंप-4 तक लौटने में लगभग नौ घंटे लग गए थे जबकि इसमें आमतौर पर 4 से 5 घंटे लगते हैं।
इस्माइल के कहा कि एवरेस्ट की चढ़ाई और वहां से वापसी मेरी जिंदगी का शारीरिक और मानसिक रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान रहा। लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने अपने बचपन के सपने को पूरा कर लिया और अब मैं कह सकता हूं कि मैंने भी एवरेस्ट फतह किया है।
इस्माइल के बारे में बताएं तो उन्होंने मरीन इंजीनियरिंग कॉलेज कोलकाता (डीएमईटी) से स्नातक करने के बाद न्यूयॉर्क के इओना विश्वविद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में स्नातक की डिग्री ले रखी है।
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