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भारत-चीन के रिश्ते सुधार की राह पर, पांच साल बाद शी जिनपिंग से मिले मोदी ने कह दी बड़ी बात

ये मुलाकात विवादित सीमा पर चार साल के सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक समझौते के बाद हुई है।

रूस के कजान शहर में ब्रिक्स समिट के इतर मोदी और शी जिनपिंग के बीच ये मुलाकात हुई। / RU Host Photo Agency via REUTERS

साल 2020 में लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष के बाद बिगड़े आपसी संबंध अब सुधार की राह पर हैं। इसका संकेत उस समय मिला, जब करीब पांच साल के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहली औपचारिक वार्ता हुई। 

दोनों नेताओं ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात की। ये मुलाकात विवादित सीमा पर चार साल के सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक समझौते के बाद हुई है। दोनों ही देशों ने समझौते की पुष्टि की है, लेकिन ये नहीं बताया कि गतिरोध को कैसे हल किया जाएगा।

भारतीय सैन्य सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने बताया है कि इस समझौते के तहत दोनों पक्षों में टकराव रोकने के लिए सीमा पर विवादित जगहों पर गश्त करने की अनुमति दी जाएगी। सीमा गतिरोध के समाधान के साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापक राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार की उम्मीद है। 

बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि दोनों देशों को पांच साल में अपनी पहली औपचारिक वार्ता में संचार और सहयोग बढ़ाना चाहिए और मतभेदों को प्रभावी ढंग से सुलझाना चाहिए।

चीन के सरकारी ब्राडकास्टर सीसीटीवी के मुताबिक, शी ने मोदी से कहा कि दोनों पक्षों को संचार और सहयोग मजबूत करना चाहिए, संघर्षों और मतभेदों को सुलझाना चाहिए तथा एक-दूसरे के विकास के सपनों को साकार करना चाहिए।

पीएम मोदी ने एक्स पर शी जिनपिंग के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि कजान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों के लिए और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।

बता दें कि दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों के बीच संबंध पिछले कुछ समय से ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं। लद्दाख में अनिर्धारित सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष में 20 भारतीय और चार चीनी सैनिकों की मौत का दावा किया जाता रहा है।  इसके बाद से बर्फीले सीमांत पर दोनों देशों ने पिछले चार वर्षों में दसियों हज़ार सैनिकों और हथियारों को तैनात किया है।

2020 के इस संघर्ष के बाद से मोदी और शी के बीच औपचारिक द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई थी। हालांकि दोनों ने कई बहुपक्षीय कार्यक्रमों में भाग लिया। उनके बीच अंतिम शिखर वार्ता अक्टूबर 2019 में दक्षिणी भारतीय शहर मामल्लापुरम में हुई थी।

नवंबर 2022 में बाली में G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर दोनों ने संक्षिप्त बातचीत की। अगस्त 2023 में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर उन्होंने फिर से बात की लेकिन बातचीत के अलग अलग बयान जारी किए गए थे। इसके अगले महीने नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में शी शामिल नहीं हुए थे। 

इस साल जुलाई में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के बाद हाल के महीनों में कूटनीतिक प्रयासों में तेजी आई है और सीमा पर तनाव कम करने की वार्ता तेज करने पर सहमति बनी है। देखना होगा कि मोदी और शी की इस मुलाकात का आपसी संबंधों पर कैसा प्रभाव होता है।
 

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