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'कमजोर विपक्ष मोदी के लिए आशीर्वाद लेकिन भारत के लिए अभिशाप है', जानें किसने कहा

क्या भारत तानाशाही की ओर बढ़ रहा है, इस सवाल पर दीपक ने कहा कि जो लोग भारत के विकास में रुचि रखते हैं और वहां निवेश करना चाहते हैं, वे इसे सकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं। हालांकि एक दूसरा वर्ग भी है।

भारत में सुप्रीम कोर्ट के वकील जे. साई दीपक ने कई मुद्दों पर एनआईए से बातचीत की। / X @jsaideepak

भारत में सुप्रीम कोर्ट के वकील जे. साई दीपक ने भारत में आने वाली चुनौतियों, भारत के लोकतंत्र के बारे में पश्चिमी धारणा और भारत में चल रहे आम चुनावों के बारे में न्यू इंडिया अब्रॉड से विस्तार से बातचीत की। 

दीपक भारत की आर्थिक कामयाबी का श्रेय आबादी के अंदर विकास की ललक और सरकार की कोशिशों का नतीजा मानते हैं। हालांकि दीपक का मानना है कि विकास की कहानी कानून व्यवस्था के मुद्दों के कारण बाधित हो सकती है। इसमें स्ट्रीट वॉरफेयर की भूमिका अहम हो सकती है।

भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में दीपक कहते हैं कि अर्बन वॉरफेयर एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि आपका सामना एक कोर समूह के संदर्भ में लोगों के एक संगठित समूह से नहीं है बल्कि ऐसे लोगों से है, जो एक बड़ी भीड़, अनिश्चित अज्ञात भीड़ का साथ लेकर चलते हैं। 

उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि भारत को इस तरह के भीड़ युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत है  क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो 2019 से 2024 के बीच उन विरोधों में से कम से कम दो का प्रयोग बड़े पैमाने पर दोहराया जा सकता है। 

दीपक की चिंता चुनाव के नतीजों के बजाय भारत द्वारा इन चुनौतियों का जवाब देने को लेकर ज्यादा है। चुनाव के तो अनुकूल होने की उम्मीद है। देश के सामने मौजूदा चुनौतियों का जिक्र करते हुए दीपक कहते हैं कि कुछ आंतरिक समूहों और बाहरी समूहों के बीच हितों का टकराव देखने को मिल रहा है जो भारत को नाकाम राष्ट्र के रूप में देखने में ज्यादा रुचि रखते हैं। 

क्या भारत तानाशाही की ओर बढ़ रहा है, इस सवाल पर दीपक ने कहा कि जो लोग भारत के विकास की कहानी में रुचि रखते हैं और यहां निवेश करना चाहते हैं, वे इसे सकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं। वहीं जो लोग इस तरक्की से सहज नहीं हैं, वे एक अलग नजरिए से देख रहे हैं और जानबूझकर नकारात्मक तस्वीर पेश करने की कोशिश रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि मेरे विचार में दुनिया के सातवें सबसे बड़े देश और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र ने अपनी संस्थाओं की अखंडता को बनाए रखने के लिए शानदार काम किया है। कुछ मीडिया संस्थानों का रणनीतिक रूप से विदेश नीति के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि भारत पर दबाव डाला जा सके, खासकर व्यापार वार्ता में। 

भारत के कमजोर विपक्ष के बारे में सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक ने कहा कि भारत इस वक्त एक कमजोर विपक्ष से अभिशप्त है और प्रधानमंत्री मोदी को कमजोर विपक्ष का आशीर्वाद प्राप्त है। मुझे नहीं लगता कि यह अच्छा है क्योंकि विपक्ष की गुणवत्ता लोकतंत्र की गुणवत्ता को भी निर्धारित करती है। दीपक का मानना है कि अगले पांच साल का समय भारत में आर्थिक स्थिरता का समय होगा, हालांकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव होता रहेगा। 

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