भारत में तापमान की तरह, लोकसभा चुनाव की सरगर्मी भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक के बाद एक चुनावी रैलियां कर रहे हैं। मंगलवार 9 अप्रैल को उन्होंने तमिलनाडु में 7वीं यात्रा की। उनकी पुरजोर कोशिश है कि इस बार तमिलनाडु में कमल खिलने की शुरुआत हो जाए।
पीएम मोदी की इस यात्रा की शुरुआत रोड शो से हुई, जो चेन्नई के पोंडी बाजार और टी नगर इलाकों से होकर गुजरा। इसने साउथ चेन्नई में तमिलिसाई सुंदरराजन और सेंट्रल चेन्नई में विनोज पी. सेल्वम के चुनाव अभियानों को गति दी।
Chennai has won me over!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 9, 2024
Today’s roadshow in this dynamic city will remain a part of my memory forever. The blessings of the people give me strength to keep working hard in your service and to make our nation even more developed.
The enthusiasm in Chennai also shows that… pic.twitter.com/lkKhAyJg5v
रोड शो के बाद बुधवार 10 अप्रैल को पीएम मोदी वेल्लोर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसका उद्देश्य धर्मपुरी से पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के उम्मीदवार सौम्या अंबुमणि और एसी षणमुगम के लिए समर्थन जुटाना है, जो भाजपा के समर्थन से वेल्लोर में न्यू जस्टिस पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं।
पीएम मोदी का खुद दक्षिण भारत में चुनावी अभियान में ताबड़तोड़ रैलियां ऐसे समय हो रही हैं, जब हाल ही में टाइम्स नाउ-ईटीजी के एक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि तमिलनाडु में भाजपा के चुनौतीपूर्ण हालात का सामना करना पड़ सकता है। तमिलनाडु में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है।
सर्वे की मानें तो द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को 26 फीसदी और कांग्रेस को 18 फीसदी के करीब वोट शेयर मिलने का अनुमान है जबकि भाजपा को 19 फीसदी वोट मिल सकते हैं। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एआईएडीएमके) 17 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रह सकती है। अन्य दलों के हिस्से में सामूहिक रूप से 20 प्रतिशत वोट शेयर आ सकता है।
पीएम मोदी की अगुआई में बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण जीत हासिल की थी। इसके बावजूद दक्षिण के पांच राज्यों की 129 सीटों में से उसे केवल 29 सीटें ही मिल पाई थीं। इनसे भी अधिकतर सीटें उसे कर्नाटक में मिलीं। बाकी चार सीटें तेलंगाना से उसके खाते में आईं।
इस चुनाव में भाजपा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में कोई भी सीट हासिल करने में नाकाम रही। शायद यही वजह है कि इस बार बीजेपी ने दक्षिण भारत के इन राज्यों में भी कोई कोर कसर न छोड़ने का फैसला किया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा का उद्देश्य तमिलनाडु के चुनावी पैठ बनाना है ताकि विधानसभा चुनावों पर भी प्रभाव डाला जा सके। लोगों की नजरें इस बात पर भी हैं बीजेपी अन्नाद्रमुक के चुनावी वोट बैंक में कितना सेंध लगा पाती है, जो हाल तक उसकी सहयोगी रही है।
भाजपा का प्रदर्शन इस इलाके में न केवल लोकसभा चुनाव बल्कि विधानसभा चुनावों में भी कमजोर रहा है। 2011, 2016 और 2021 में हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो भाजपा केवल 2021 में तमिलनाडु में ही चार सीटें हासिल करने में सफल रही है।
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