व्हाइट हाउस की राह न केवल राजनीतिक बाधाओं से भरी है बल्कि दिल टूटने का सबब भी है। हालांकि ज़्यादातर उम्मीदवारों को उस रास्ते की 'बारूदी सुरंगों' के बारे में पता होता है मगर कुछ ही लोग दीवार पर लिखी इबारत को ध्यान से पढ़ते हैं। अन्य लोग दिखावा करते हैं कि संदेश निश्चित रूप से केवल दूसरों के लिए हैं जिससे भ्रम की भावना उत्पन्न होती है।
यहां हम मिशिगन प्राइमरी की बात कर रहे हैं। इसमें राष्ट्रपति जो बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ-साथ रिपब्लिकन नामांकन के लिए एकमात्र दावेदार निकी हेली के लिए भी स्पष्ट संदेश थे। 27 फरवरी को बाइडन और ट्रम्प दोनों की ही ठोस जीत हुई। और हेली के लिए यह प्राइमरी एक और साफ चेतावनी दे गई कि 'इज्जत' के साथ चुनावी दौड़ में बने रहने के लिए उन्हे 'वास्तविक' वोटों की आवश्यकता होगी। यहां वास्तविक को रिपब्लिकन पढ़ें, डेमोक्रेट और निर्दलीय वोट के रूप में नहीं।
सभी संभावनाओं में हेली 5 मार्च के बाद 'भी दौड़ में थीं' वाली श्रेणी में होंगी क्योंकि सुपर ट्यूसडे शो में 15 राज्य और अमेरिकी समोआ का क्षेत्र होगा। कैलिफ़ोर्निया और टेक्सास जैसे समृद्ध प्रतिनिधि संख्या वाले बड़े राज्यों के अलावा सुपर ट्यूसडे में कुछ दक्षिणी राज्य भी शामिल हैं जो ट्रम्प का गढ़ हैं। इसमें यह तथ्य भी जोड़ दें कि कई राज्य डेमोक्रेट और निर्दलीय मतदाताओं को भाग लेने की अनुमति नहीं देते इसलिए हेली के लिए यहां एक अलग कहानी बन जाती है।
मिशिगन से ट्रम्प के लिए एक संदेश था कि जनसांख्यिकी में कटौती करने के उनके सभी दावों के बावजूद स्वतंत्र उम्मीदवारों की ओर से उन्हे उतना मजबूत समर्थन नहीं था। ट्रम्प अभियान को यह अहसास होना चाहिए कि यदि 2016 और 2020 के चुनावों को देखा जाए तो मिशिगन जैसे राज्य में निर्दलीय और अल्पसंख्यक समूहों का दबदबा है। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (MAGA ) जैसा उनका नारा रिपब्लिकंस में कुछ गर्मी पैदा कर सकता है मगर मिशिगन, मिनेसोटा, विस्कॉन्सिन, नेवादा और फिलाडेल्फिया जैसे इलाकों में इससे अधिक बर्फ पिघलेगी इसके आसार कम ही हैं।
यह सही है कि कट्टरपंथी और चरमपंथी रिपब्लिकंस राज्य में व्याप्त डर और अविश्वास के कारण हमेशा ट्रम्प के पक्ष में रहेंगे। इस भय और अविश्वास को हमेशा मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से हथियार रखने के अधिकार को छीनने के रूप में देखा जाता है। मगर 2024 में बड़ा मुद्दा इमिग्रेशन और बॉर्डर कंट्रोल का है। 45वें राष्ट्रपति की चुनौती यह है कि उदारवादी रिपब्लिकंस और निर्दलीय उनकी तरह से चीजों को देखें।
मिशिगन से असली 'संयमित दस्तक' राष्ट्रपति बाइडन के लिए थी और वह भी ऐसे समय पर जब वह अपनी ही पार्टी में प्रगतिवादियों और केंद्र के वामपंथियों से संघर्ष कर रहे हैं। अरब अमेरिकी, केवल डियरबॉर्न के विशिष्ट दायरे में ही नहीं, अकेले भी नहीं थे जो अप्रतिबद्ध श्रेणी में चले गए।
कॉलेज परिसर जहां उम्मीदवार पहली बार मतदाताओं के लिए मशक्कत करते हैं मौजूदा राष्ट्रपति के लिए काफी चिंताजनक साबित हुए। खासकर एन आर्बर और ईस्ट लांसिंग में जहां क्रमशः मिशिगन और मिशिगन राज्य विश्वविद्यालय हैं। इसका अधिकांश संबंध बाइडन प्रशासन द्वारा गाजा स्थिति से निपटने में अनाड़ीपन से था। यहूदी राज्य इजराइल और आतंकवादी संगठन हमास के बीच पांच महीने के संघर्ष में,30,000 से अधिक फिलिस्तीनियों के मारे जाने की बात कही जा रही है। यह विश्व स्तर पर शायद ही सुखद विचार हो।
अलबत्ता ट्रम्प को अदालत से कुछ राहत भरी खबर मिली। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि वह राष्ट्रपति की छूट वाले मामले में उनकी अपील पर सुनवाई करेगा। पहली बार कोर्ट इस तरह की कवायद में शामिल हुआ है। इस मामले में पहली बहस अप्रैल के अंत में होने की उम्मीद है और यह जून तक चलने की उम्मीद है। इसके बाद निगाहें अदालत पर होंगी। यह सबके लिए प्रतीक्षा का समय होगा और साथ ही सवाल होगा कि क्या अदालत त्वरित निर्णय देगी या चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में सस्पेंस बनाए रखेगी और 5 नवंबर, 2024 के बाद फैसला सुनाया जाएगा।
इन हालात में कुछ लोगों का मानना है कि शीर्ष अदालत का फैसला एक पूर्व निष्कर्ष है क्योंकि ट्रम्प ने इसे अपने पक्ष में 6 से 3 तक सीमित कर दिया था। लेकिन कई अन्य लोग विद्वान न्यायाधीशों को कयासबाजी से इतर किताबों के अनुसार अधिक चलते हुए देखते हैं। एक तीसरा समूह यह तर्क देगा कि अगर ट्रम्प नवंबर में जीतते हैं तो यह सब शायद ही कोई मायने रखता है क्योंकि जीत के बाद हालात किस दिशा में जाएंगे इसका अंदाजा लगाने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login