संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 फरवरी को "अहलन मोदी" कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। अबू धाबी में होने वाले इस कार्यक्रम में 50 हजार से ज्यादा प्रवासी हिस्सा लेंगे, जो भारतीय प्रवासियों के सबसे बड़े सम्मेलन में से एक होगा।
अहलन का अरबी में अर्थ "स्वागत" होता है। इसी को जोड़कर इस सम्मेलन का नाम रखा गया है। भारत के बाहर सबसे ज्यादा प्रवासियों वाले देश यूएई ने पीएम मोदी के स्वागत के लिए खास तैयारियां की हैं। यूएई में करीब 33 लाख भारतीय रहते हैं।
यह सम्मेलन पीएम मोदी द्वारा 14 फरवरी को यूएई में बीएपीएस हिंदू मंदिर उद्घाटन से ठीक पहले होगा। इस मंदिर की आधारशिला 20 अप्रैल 2019 को रखी गई थी। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के यूएई दौरे के समय संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने मंदिर के लिए जमीन आवंटित की थी।
भारत और यूएई के संबंधों में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दोनों देशों के बीच लगातार उच्चस्तरीय यात्राएं और राजनयिक आदान-प्रदान हो रहा है। यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान जल्द ही वाइब्रेंट गुजरात समिट में शामिल होने के लिए भारत का दौरा करने वाले हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 2014 के बाद से यूएई की छह यात्राएं कर चुके हैं। सबसे हालिया यात्रा दिसंबर में दुबई जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के लिए हुई थी। इन यात्राओं ने द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत और यूएई के व्यापार लगभग 73 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो 1970 के दशक के मामूली 18 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष से काफी अधिक है। यूएई का भारत का निर्यात भी काफी बढ़ा है और यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बन गया है।
यूएई भारत में एक बड़े निवेशक के रूप में उभरा है। उसने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 15.18 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ अनुमानित 20-21 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है। इस तरह संयुक्त अरब अमीरात एफडीआई के मामले में भारत का 7वां सबसे बड़ा निवेशक बन गया है।
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