आखिरी बार आपने ऐसी अभिनेत्री को कब देखा था जिसके बालों में सुनहरे रंग नहीं थे या कोई ऐसी अदाकारा जिसकी बिकनी में समुद्र तट पर अपने शरीर को दिखाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी? यही नहीं... वह एक ऐसी अभिनेत्री हैं जो अपने दम पर किसी फिल्म को 100 करोड़ी क्लब तक पहुंचाती हैं? जी हां, आप सही पकड़े हैं। उनका नाम है विद्या। विद्या बालन।
यानी शालीनता से साड़ी में लिपटी हुई भारतीय फिल्मों की सौम्य सुंदरी। और सुंदरी ऐसी कि गदर काट दे। इस ताम-ब्रह्म...जैसा कि तमिल में बोलचाल की भाषा में ब्राह्मण को कहा जाता है, को बी-टाउन में इसे इतना बड़ा बनने के लिए शुरुआती कई झटके खाने पड़े। लेकिन फिर एक-एक कर ऐसी कामयाबी मिली कि वह सुनहरे पर्दे से लेकर पद्मश्री जैसे सम्मान में परिणत हुई। पारंपरिक साड़ी में जब विद्या इस सम्मान को हासिल करने के लिए मंच पर पहुंचीं तो हर कोई सिनेमा की कला में उनके योगदान का कद्रदान बना बैठा था।
विद्या इस कामयाबी का श्रेय अपने परिवार को देती हैं। बकौल विद्या परिवार ने ही उन्हें उनके सबसे निराशाजनक क्षणों में स्वस्थ और प्रेरित रखा। वह बताती हैं कि लंबे समय तक उनकी मां उनके पेशे के चुनाव से खुश नहीं थीं। वह इस बात से डरी हुई थीं कि इंडस्ट्री उनकी बेटी के साथ कैसा व्यवहार करेगी और बढ़ती उम्र के दौरान यही उनकी सबसे बड़ी दुश्मन बनी।
कम से कम एक युवती के रूप में विद्या इसी तरह देखती थीं। उन्होंने मान लिया था कि उनकी मां उन्हे इतना प्रतिभाशाली नहीं मानतीं कि उसे प्रोत्साहित कर सकें। बाद में जब उन्होंने देखा कि उनकी मां पेशे के प्रति आशंकाओं के बावजूद उनकी सफलता के लिए कितनी शिद्दत से प्रार्थना करती थी तो विद्या को अपनी मां का विरोध समझ में आया और दोनों करीब आ गए।
आज अभिनेत्री मानती हैं कि यह उनकी मां की प्रार्थनाएं और बहन व जीजाजी का निरंतर समर्थन था जिसने उसे आगे बढ़ाया। उनके पिता आज तक उनके सभी साक्षात्कारों को सहेज कर रखते हैं और उनमें से प्रत्येक पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। बेशक, यह उस परिवार का प्यार और उसकी एकजुटता ही थी जिसने हमें आज विद्या बालन जैसी अभिनेत्री दी।
बंगाली फिल्म भालो थेको को 20 साल हो गए हैं। इस फिल्म ने विद्या बालन के प्रति सभी पूर्वाग्रहों को तोड़ दिया और आखिरकार एक फिल्म अभिनेत्री के रूप में अपना करियर शुरू किया। परिणीता वह फिल्म थी जिसने उन्हें हिंदी फिल्म अभिनेत्री बना दिया। इसी के रूप में उन्हें आज भी जाना जाता है। हर कोई जानता है कि गुरु, भुल भुलैया, इश्किया, द डर्टी पिक्चर जैसी फिल्मों के बाद क्या हुआ। लेकिन एक पारंपरिक हिंदी फिल्म नायिका होने के प्रति पूर्ण उपेक्षा के साथ विद्या बालन अपने आप में इतनी सहज क्यों हैं? ऐसा क्या है जो उन्हे खुद से क्षमाप्रार्थी न होने की ताकत देता है?
क्या यह शुरुआत में उनकी असफलता है या कुछ और? क्या उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हिंदी फिल्मों की युवा नायिका से अलग उनका वजन थोड़ा अधिक था। इस पर मुखर अभिनेत्री ने एक साक्षात्कार में अपनी असुरक्षाओं और यात्रा को खूबसूरती से व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने बीच में कहीं न कहीं आत्मविश्वास खो दिया था। लेकिन शुक्र है कि मुझे हमेशा मेरे काम के लिए सराहना मिली। तो यह कुछ ऐसा था जिसे कायम रखना था। लेकिन व्यावसायिक सफलता के संदर्भ में, क्योंकि यह उस समय मुझसे दूर था, मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या बदल गया था। मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या इसका मेरे शरीर के आकार से कोई लेना-देना है? किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो मोटा कहलाते बड़ा हुआ हो उसके जीवन में सब कुछ उसके शरीर के आकार पर निर्भर करता है।
मैं निश्चित रूप से सोच ही रही थी कि सब कुछ केवल शरीर के बारे में है। तभी मैंने एक 'मददगार' के साथ काम करना शुरू किया, जिसके साथ मैं पिछले कुछ समय से काम कर रही हूं। मैंने अपने सबसे बुरे डर का सामना किया। इससे मुझे खुद को पहले से भी अधिक स्वीकार करने में मदद मिली। आख़िरकार मैंने अपने शरीर की कीमत पर खुद को आंकना बंद कर दिया। अगर 'द डर्टी पिक्चर' ने मुझे एक मनोविकार से आज़ाद किया और मुझे अपने शरीर को लेकर सहज बनाया तो इस चरण ने मुझे अहसास दिलाया कि यह मेरा शरीर ही है जिसने मुझे जीवित रखा है। अगर मैं इससे नफरत करूंगी तो मैं मर भी सकती हूं। मुझे लगता है कि मेरा शरीर नकारात्मक विचारों पर प्रतिक्रिया करते हुए एक स्वास्थ्य रूप ले रहा था।
खैर, इस समय विद्या अपनी फिल्म लवर्स की रिलीज का इंतजार कर रही हैं। उनके प्रशंसक भी इसी इंतजार में हैं क्योंकि पिछले साल रिलीज हुई 'नीयत' से वे संतुष्ट नहीं लग रहे थे। हालांकि फिल्म के विषय के बारे में ज्यादा खुलासा नहीं है लेकिन एक बात तय है कि अभिनेत्री हमारा मनोरंजन करेंगी। जैसा कि वह हमेशा से करती आई हैं!
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login