भारतीय मूल के मनोज मोहनन ड्यूक यूनिवर्सिटी के सैनफोर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के अंतरिम डीन बनाए गए हैं। उनका कार्यकाल दो साल का होगा। मनोज सैनफोर्ड में फैकल्टी एंड रिसर्च के सीनियर एसोसिएट डीन रहे हैं।
मोहनन ने मेडिसिन से लेकर पब्लिक पॉलिसी तक का सफर तय किया है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक में भारत के पश्चिमी तट के एक गांव में हुई थी। मोहनन ने एक बयान में बताया कि एक बार मैंने गांव में अस्थमा से पीड़ित एक बुजुर्ग को देखा। उनके पास दवा खरीदने तक के पैसे नहीं थे।
मोहनन ने आगे कहा कि उन बुजुर्ग की हालत देखकर मैंने ऐसा करियर अपनाने का फैसला किया जो स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित समस्याओं का समाधान कर सके। मोहनन ने कहा कि अगर मैं वहीं पर रहता तो सिस्टम का हिस्सा बनकर ही रह जाता। लेकिन मुझे उस दायरे से बाहर आकर कुछ करने की जरूरत थी, और मैंने यही किया।
भारत में मेडिकल ट्रेनिंग के बाद मोहन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और हेल्थ पॉलिसी, इकनोमिक्स व पब्लिक पॉलिसी पर फोकस किया। वह 2011 से सैनफोर्ड स्कूल में फैकल्टी मेंबर रहे हैं। उनकी विशेषज्ञता हेल्थ और डेवलपमेंट इकनोमिक्स में हैं। उनके शोध अक्सर स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के व्यवहार पर केंद्रित रहे हैं।
सैनफोर्ड में रहते हुए मोहनन ने छात्र अनुभव और विविध विषयों की जानकारी हासिल करने की पहल को बढ़ावा दिया। उन्होंने प्रमुख पब्लिक पॉलिसी को आकार देने के लिए अंडरग्रेजुएट टास्क फोर्स का सह-नेतृत्व किया था। इतना ही नहीं, वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी नीति निर्माताओं और छात्रों को जोड़ने के लिए एक इमर्सिव लर्निंग प्रोग्राम भी विकसित किया है।
अंतरिम डीन के रूप में मोहनन का उद्देश्य सैनफोर्ड समुदाय के लिए स्थिरता और समर्थन प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह पद मुझे स्कूल और सहयोगियों को स्थिरता और निरंतरता प्रदान करने का अवसर देता है। यह मेरे लिए सहयोगियों का समर्थन करने और कुछ अलग करने का अवसर भी है।
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