पर्यावरणीय संबधी चुनौतियों से जूझ रही दुनिया के लिए स्थिरता के उद्देश्य से जमीनी स्तर के प्रयास अत्यधिक आवश्यक होते जा रहे हैं। ऐसी ही एक पहल जोर पकड़ रही है ग्राम समृद्धि फाउंडेशन (GSF) द्वारा चलाये जा रहे आम बीज दान अभियान के माध्यम से। यह अभियान व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन- पैन आईआईटी ग्लोबल गिविंग बैक प्लेटफॉर्म का भागीदार है। व्हील्स तेजी से विस्तार करने, जागरूकता पैदा करने और पहल का समर्थन करने के लिए वैश्विक आईआईटी पूर्व छात्रों के पारिस्थितिक तंत्र, कॉरपोरेट्स और सीएसआर भागीदारों का लाभ उठाता है।
इस पहल के तहत समुदायों को आम के बीज इकट्ठा करने, उन्हें साफ करने और सुखाने तथा अंकुरण के लिए GSF में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। फिर बीजों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधों के रूप में तैयार किया जाता है और किसानों को वितरित किया जाता है। लैंडफिल में बर्बाद होने के बजाय ये बीज पर्यावरण को बचाने के प्रयासों में मदद करते हैं। अपशिष्ट को कम करके और फेंके गए बीजों को संसाधनों में बदलकर यह पहल एक व्यापक टिकाऊ प्रणाली का समर्थन करती है जो पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता में योगदान देती है।
यह अभियान कई लाभ देने वाला है। इसमें वृक्षारोपण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना और आर्थिक रूप से वंचित किसानों का मददगार बनना शामिल है। आम के पेड़ विविध जलवायु में पनपते हैं, हवा की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, स्थानीय गर्मी को कम करते हैं और किसानों के लिए एक स्थायी आय स्रोत प्रदान करते हैं। बाजार में आम के एक पौधे की कीमत 50 से 200 रुपये के बीच है मगर इस पहल के माध्यम से किसानों को केवल 5 रुपये में आम का पौधा मिल जाता है। यही नहीं आम के पेड़ अपेक्षाकृत कम रखरखाव वाले होते हैं इस कारण वे छोटे किसानों के लिए एक आदर्श फसल बन जाते हैं।
विभिन्न स्कूलों, इलाकों, हाउसिंग सोसायटी और समूहों सहित पूरे भारत के लोगों ने इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया है। मई 2024 से यह पहल देश भर के दानदाताओं से 10 लाख बीज एकत्र करने के लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रही है। रोपण के उद्देश्य से इन बीजों को GSF द्वारा अंकुरण के लिए संसाधित किया जा रहा है। करीब 1 लाख आम के पेड़ों (सफल अंकुरित बीजों की 10% दर) से भारत के पश्चिम बंगाल और झारखंड राज्य के 8,000- 10,000 गरीब किसानों को लाभ की स्थिति है।
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले GSF के जसमीत सिंह बताते हैं कि एक बीज से पेड़ तक की यात्रा बहुत लंबी है। लगभग 3-4 साल की। GSF का यह प्रोजेक्ट तभी सफल हो सकता है जब किसान अपनी दैनिक आय को लेकर तनाव मुक्त होकर आम के पेड़ के नीचे बैठ सकें। बीज दान करने जैसे सरल कार्य के माध्यम से कोई भी हरित और स्वस्थ भविष्य में योगदान दे सकता है।
WHEELS ऐसे कार्यक्रमों को लागू करके, 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के दृष्टिकोण के समर्थन में 2030 तक भारत की 20% 'रूर्बन' आबादी (यानी 180 मिलियन से अधिक लोगों) के प्रौद्योगिकी-संचालित परिवर्तन के साझा उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है।
भारत के भविष्य को लेकर चिंतित और उसे संवारने की चाहत रखने वाले एक बड़े वर्ग से हमारा आग्रह है कि वे www.wheelsglobal.org पर जाकर हमारे प्रयासों में शामिल होने और हमारी यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आगे आएं।
(लेखिका व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन की मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस मैनेजर हैं)
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