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मालदीव के विदेश मंत्री कर सकते हैं भारत की यात्रा, तनाव के बीच इसलिए अहम है यह दौरा

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मूसा की यात्रा अगले सप्ताह की शुरुआत में हो सकती है। मालदीव में मुइज्‍जू सरकार के आने के बाद यह किसी बड़े मंत्री की पहली यात्रा हो रही है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं।

भारत में लोकसभा चुनाव के बीच मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। / FILE PHOTO

मालदीव और भारत में राजनयिक तनाव के बीच मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यात्रा की तारीखों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मूसा की यात्रा अगले सप्ताह की शुरुआत में हो सकती है। मालदीव में मुइज्‍जू सरकार के आने के बाद यह किसी बड़े मंत्री की पहली यात्रा हो रही है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं।

लोकसभा चुनाव के बीच मूसा का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि मूसा की यह यात्रा भारतीय संसदीय चुनावों के बीच में हो रही है। इस कारण जमीर संभवतः पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत के अंतिम हाई-प्रोफाइल विदेशी गणमान्य व्यक्ति होंगे। दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा होने की संभावना है।

दरअसल, मुइज्जू के शासन में आने के बाद से हिंद महासागर के पड़ोसी के साथ भारत के संबंधों में बार-बार व्यवधान आया है। दोनों देशों के बीच रिश्ते इसके बाद से ही उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने से पहले मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वापसी का नारा बुलंद किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वापसी सुनिश्चित भी कराई। भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के लिए 10 मई तक की सीमा तय की गई है।

दरअसल, मालदीव में भारतीय हेलिकॉप्टरों के संचालन और रखरखाव के लिए भारतीय सैनिक तैनात हैं। बताया जा रहा है कि जमीर की यात्रा 10 मई की उस समय सीमा के आसपास हो सकती है, जिसमें मालदीव सरकार ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने और उनके स्थान पर इंजीनियरों को नियुक्त करने के लिए कहा था।

भारत ने अनिच्छा से देश के भू-राजनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस मांग को स्वीकार कर लिया, जहां से अधिकांश प्रमुख हिंद महासागर शिपिंग मार्ग गुजरते हैं और जहां मुइज्जू के शीर्ष कार्यालय पर कब्जा करने के बाद से चीन ने नाटकीय वापसी की है।

मुइज्जू ने जनवरी में अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन को चुना था। इस तरह से वह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित मालदीव के पहले राष्ट्रपति बन गए जिन्होंने भारत आने से पहले दूसरे देश की यात्रा की। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान बीजिंग के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए और बाद में चीन से मुफ्त रक्षा सहायता के लिए एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह यात्रा मालदीव के संसदीय चुनावों के बाद हो रही है। इस चुनाव में जिसमें मुइज्जू ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए संसद में बहुमत हासिल किया था। भारत समर्थक मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) चुनाव में 12 सीटों पर सिमट गई थी।

हालांकि भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में जमी बर्फ अभी पिघली नहीं हैं। इसके बावजूद भारत ने द्वीप राष्ट्र को जरूरी चीजों का निर्यात करने का फैसला बरकरार रखा है। इस पर मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने भारत का आभार भी जताया था। ऐसे में मूसा जमीर की यह यात्रा काफी अहम मानी जा रही है।

जमीर अपने समकक्ष एस जयशंकर के साथ इस साल के अंत में मुइज्जू की भारत यात्रा की संभावना पर चर्चा कर सकते हैं। मालदीव के अधिकारियों ने पहले दावा किया था कि उन्होंने शपथ ग्रहण के कुछ ही समय बाद नवंबर में मुइज्जू की भारत यात्रा का प्रस्ताव दिया था। वह मालदीव की विभिन्न सरकारों द्वारा लिए गए कर्जे की अदायगी में भारत से नरमी की मांग कर सकते हैं। संप्रभुता के सम्मान के आधार पर भारत के साथ संबंध बहाल करने की इच्छा रखने वाले मुइज्जू ने पहले भारत से भारी कर्ज चुकाने के लिए कर्ज राहत उपायों का आग्रह किया था।

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