रूस के कजान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई देशों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद जारी कज़ान घोषणापत्र के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
यूक्रेन पर:
हम इस बात पर जोर देते हैं कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप संपूर्णता और एकदूसरे के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए। हम मध्यस्थता और अच्छी नीयत वाले प्रासंगिक प्रस्तावों की सराहना करते हैं, जिनका उद्देश्य वार्ता और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान करना है।
मध्य पूर्व पर:
हम कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र के हालात और मानवीय संकट खासकर गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में अभूतपूर्व हिंसा से बने हालात पर गंभीर चिंता दोहराते हैं।
इजरायली सैन्य आक्रमण की वजह से बड़े पैमाने पर नागरिकों को नुकसान हुआ है। उन्हें विस्थापन का सामना करना पड़ा है और बुनियादी ढांचे का व्यापक विनाश हुआ है।
हम लेबनान की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त करते हैं। लेबनान के आवासीय क्षेत्रों में इजराइल द्वारा किए जा रहे हमलों को तत्काल बंद करने का आह्वान करते हैं।
पश्चिमी प्रतिबंधों पर:
हम वैश्विक अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों पर अवैध रूप से लगाए गए प्रतिबंधों और गैरकानूनी एकतरफा कार्रवाई के विघटनकारी प्रभाव को लेकर गहराई से चिंतित हैं।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर:
हम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे को अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण बनाने के लिए वैश्विक आर्थिक शासन सहित वैश्विक वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
ब्रिक्स सीमा पार पेमेंट पर:
हम व्यापार बाधाओं को कम करने और बिना भेदभाव पहुंच के सिद्धांत पर आधारित तेज, कम लागत वाले, अधिक कुशल, पारदर्शी, सुरक्षित और समावेशी सीमापार पेमेंट सिस्टम के व्यापक लाभों को पहचानते हैं। हम ब्रिक्स देशों और उनके व्यापारिक भागीदारों के बीच वित्तीय लेनदेन में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का स्वागत करते हैं।
IMF पर:
हम कोटा आधारित और पर्याप्त संसाधन वाले आईएमएफ के केंद्र में एक मजबूत और प्रभावी वैश्विक वित्तीय सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
G20 पर:
हम नतीजे देने वाले परिणामों पर फोकस के साथ आम सहमति के आधार पर जी-20 के निरंतर और उत्पादक कामकाज के महत्व को पहचानते हैं।
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