भारत के लोकसभा चुनावों में सत्ताधारी एनडीए को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा। यहां बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गईं। अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा भी बीजेपी के लिए काम नहीं आया। यूपी में मोदी सरकार के छह मंत्री चुनाव हारते दिख रहे हैं। अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी भी अपनी सीट नहीं बचा पाईं।
उत्तर प्रदेश या कहें कि हिंदी पट्टी के कई राज्यों में बीजेपी की स्थिति इन लोकसभा चुनावों में बेहद कमजोर हुई है। कहा जा रहा है कि अगर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की इतनी बुरी गत नहीं हुई होती तो केंद्र के सारे समीकरण बदल जाते। यदि यूपी में बीजेपी कमोवेश अपनी पिछली सीटें कायम रख पाती तो केंद्र की मोदी सरकार को गठबंधन सहयोगियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और वह अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेती।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सबसे तगड़ी चोट अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने पहुंचाई है। समाजवादी पार्टी अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए, खबर लिखे जाने तक, करीब 37 सीटें जीतने की तरफ बढ़ रही थी, जो पिछली बार से 34 ज्यादा हैं। कुल 80 संसदीय सीटों वाले यूपी में सपा के दमदार प्रदर्शन ने बीजेपी को लगभग 31 सीटों का नुकसान पहुंचाया है, जो कि अब 33 सीटों पर सिमटती दिख रही है।
भारत की सियासत में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को भी पांच सीटों का फायदा हुआ है और वह छह सीटें अपनी झोली में डालने में कामयाब होती नजर आ रही है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी शून्य पर सिमट गई है। राज्य के मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता योगी आदित्यनाथ पार्टी की इस हार पर मंथन में जुट गए हैं।
उत्तर प्रदेश में अयोध्या का मुद्दा भी बीजेपी की इज्जत नहीं बचा सका। अयोध्या शहर जिस फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में आता है, वहीं पर बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें सपा के अवधेश प्रसाद ने 48 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। हालांकि प्रसिद्ध टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल मेरठ सीट से जीत गए हैं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को एक बड़ा झटका अमेठी में लगा, जहां पर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी हार गई हैं। स्मृति ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी को मात दी थी। लेकिन 2024 के चुनाव में कांग्रेस परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति इरानी को हराकर हिसाब बराबर कर दिया है। अमेठी में ये तीसरा मौका है, जब किसी गैर गांधी परिवार के व्यक्ति ने चुनाव में जीत हासिल की है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login