बैक्टीरिया और रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव भूजल को प्रदूषित करते हैं और अपरिहार्य रूप से ये तब सामने आते हैं जब लगभग 85 प्रतिशत भारतीय गांव पारिवारिक उपभोग के लिए जलवाही स्रोतों से पानी खींचते हैं। भारत के 650,000 गांवों में सुरक्षित पेयजल तक पहुंच एक बड़ी चुनौती है। उबालना, फिल्टर करना, आरओ, यूवी जैसे पानी को साफ करने वाले तरीके अक्सर कम आय वाले परिवारों की पहुंच में नहीं होते। इनसे पानी की अवांछनीय बर्बादी या नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव भी जुड़ा होता है।
व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने हाल ही में इस समस्या से मुक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण समाधान की शिनाख्त की है। यह है व्हील्स पार्टनर ताराल्टेक का माजी रिएक्टर संयंत्र। यह एक ऐसा उपकरण है जिसे बोरवेल में फिट किया जा सकता है। यह पानी में रोगाणुओं को नष्ट करने के लिए भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करता है और हैंडपंप से निकलने वाले पानी को पीने, भोजन तैयार करने आदि के लिए सुरक्षित बनाता है।
यह उपकरण बिना किसी उपभोग्य वस्तु या बिजली के खर्च बगैर तकनीक का उपयोग करते हुए अपना काम करता है। इसकी पूंजी लागत बहुत कम (8000 रुपये तक) है। पानी देने से पहले यह उपकरण 99% से अधिक रोगाणुओं और रोगजनकों को मार देता है।
एक बार गांव के हैंडपंपों में लगाने (रेट्रोफिटिंग) के बाद स्रोत पर ही सूक्ष्मजीव-मुक्त पानी उपलब्ध हो जाता है। इससे पूरे समुदाय की सेवा होती है और इसका पूरे गांव के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर सीधा और स्थायी प्रभाव पड़ता है। माजी रिएक्टर का इस्तेमाल देश में लाखों उपयोगकर्ता कर रहे हैं।
व्हील्स टीम ने ताराल्टेक से एक माजी रिएक्टर खरीदा और इसे मार्च 2024 में उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे पर स्थित रबूपुरा गांव में एक हैंडपंप में फिट कर दिया। कुच महीनों बाद पानी के नमूने एकत्र किए गए और एनएबीएल-अनुमोदित प्रयोगशालाओं में परीक्षण किया गया, जिससे पानी के शुद्धिकरण की पुष्टि हुई। समय के साथ हानिकारक रोगाणुओं की अनुपस्थिति भी। अनुमान है कि लगभग 500 लोग प्रतिदिन यह पानी पीते हैं। इसकी खपत प्रतिदिन 1000 लीटर से अधिक है। दूसरे शब्दों में, प्रति लीटर पानी की कीमत महज एक पैसे का अंश मात्र है। लिहाजा, व्हील्स इस परिवर्तनकारी तकनीकी समाधान का विस्तार करने के लिए आपका समर्थन चाहता है।
यानी कि मात्र 1000 डॉलर की सहायता 10 गांवों को अपने कई हैंडपंपों के साथ जीवन भर के लिए बैक्टीरिया-मुक्त सुरक्षित पेयजल का साधन बनने में सक्षम बना सकती है। जलजनित रोगों के उन्मूलन और इसके महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव में बड़े असर वाली तकनीक के लिए ताराल्टेक को भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है और कई प्रतिष्ठित विकास संगठनों द्वारा लगातार मान्यता दी गई है। जब ग्राम पंचायतें इस दिशा में बढ़ना चाहती हैं तो भारत सरकार फंडिंग भी मंजूर कर देती है। समय की मांग है कि देश भर में इसके उपयोग को बढ़ाया जाए।
(लेखिका व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन की मार्केटिंग और कम्युनिकेशंस मैनेजर हैं)
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