कनाडा में खालिस्तानी समर्थक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऑपरेशन ब्लूस्टार की 40वीं बरसी पर कनाडा के टोरंटो में भारतीय दूतावास के बाहर बड़ा प्रदर्शन किया गया। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी भी निकाली गई और तिरंगे के अपमान किया गया। हैरत की बात ये है कि इस दौरान कनाडाई पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन वह मूकदर्शक बनी देखती रही।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में सिख आतंकियों को निकालने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लूस्टार की 6 जून को 40वीं बरसी थी। इस दौरान विरोध जताते हुए सिख चरमपंथियों ने कनाडा के कई शहरों में प्रदर्शन किए। टोरंटो में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तानी झंडे लहराए और भारत विरोधी नारेबाजी की। वेंकूवर में भारतीय कॉन्सुलेट के बाहर भी प्रदर्शन किए गए।
प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या की झांकी भी निकाली। इसमें इंदिरा को गोलियों से छलनी दिखाया गया और उनके बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बेअंत सिंह को गोली मारते दिखाया गया था। इससे पहले जून 2023 में भी कनाडा के ब्रैम्पटन में इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करते हुए झांकी निकाली गई थी।
कनाडा में ये प्रदर्शन ऐसे समय हुए हैं, जब भारत में हुए हालिया लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने पंजाब की फरीदकोट लोकसभा सीट से चुनाव में जीत हासिल की है। सरबजीत ने आम आदमी पार्टी के करमजीत सिंह अनमोल को 70 हजार से अधिक वोटों से हराया है।
लोकसभा चुनाव में खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को भी जीत मिली है। अमृतपाल इन दिनों देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद है। उसने पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की है। अमृतपाल ने कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को करीब दो लाख वोटों से हराया है।
कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार पर सिख चरमपंथियों का समर्थन करने का आरोप लगते रहे हैं। इस साल अप्रैल में पीएम ट्रूडो, विपक्ष व एनडीपी पार्टी के नेताओं के साथ टोरंटो में आयोजित खालसा दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान अलगाववादी समर्थक नारेबाजी के बीच में ट्रूडो ने भाषण भी दिया था। इससे नाराज होकर भारत सरकार ने कनाडा के डिप्टी हाईकमिश्नर को तलब कर विरोध जताया था।
माना जा रहा है कि कनाडा में हुए हालिया प्रदर्शन और इंदिरा गांधी की झांकी निकाले जाने पर भी भारत सरकार की तरफ से औपचारिक विरोध दर्ज कराया जा सकता है। खबर लिखे जाने तक भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई बयान नहीं आया था। हालांकि सरकार में इस घटना को लेकर काफी नाराजगी है।
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