अमेरिका में चुनाव की बयार है। फैसले का दिन करीब आ रहा है। ऐसे में दक्षिण एशियाई लोग अमेरिका के एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़े हैं। भविष्य के लिए हमारी पसंद स्पष्ट है। यानी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस। उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी के रूप में कमला हैरिस ने हमारे प्रिय मूल्यों - बहुलता, लोकतंत्र, मानवाधिकार और समानता - के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। अब, जब वह देश के सर्वोच्च पद की तलाश में आगे बढ़ रही हैं तो दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए उनकी ऐतिहासिक उम्मीदवारी के पीछे एकजुट होने का समय आ गया है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति हैरिस के समर्थन से मुझे व्हाइट हाउस AANHPI (एशियाई अमेरिकी और मूल हवाईयन/प्रशांत द्वीपवासी) आयोग में सेवा करने का सम्मान मिला है। इस अवसर ने मुझे आप्रवासन मुद्दों पर महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत करने का मौका दिया जो हमारे समुदाय पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इनमें से उल्लेखनीय उन सभी व्यक्तियों के लिए रोजगार प्राधिकरण कार्ड जारी करना था जिन्होंने ग्रीन कार्ड I-140 का पहला चरण दाखिल किया और उन्हें EAD (रोजगार प्राधिकरण दस्तावेज) के लिए 10-20 साल तक इंतजार नहीं करना पड़ा। हमने H-1B समाप्ति के लिए छूट अवधि को 60 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने और उम्र की गणना से उम्र बढ़ने वाले बच्चों के लिए प्रतीक्षा अवधि को खत्म करने की भी वकालत की। हमारे प्रयासों ने अमेरिका में ग्रीन कार्ड प्रक्रिया और H-1B स्टैम्पिंग को सुव्यवस्थित करने में योगदान दिया। इसे इस प्रशासन के तहत एक पायलट कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया था।
डोनाल्ड ट्रम्प की आव्रजन नीतियों का दक्षिण एशियाई और भारतीय अमेरिकियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से H-1B वीजा, मुस्लिम प्रतिबंध और ग्रीन कार्ड बैकलॉग के संबंध में। उनके प्रशासन ने भारतीय पेशेवरों द्वारा बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले H-1B वीजा कार्यक्रम पर प्रतिबंध कड़े कर दिए जिससे कंपनियों के लिए कुशल श्रमिकों को प्रायोजित करना कठिन हो गया। इस कदम से भारतीयों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा जो H-1B प्राप्तकर्ताओं में से अधिकांश हैं और दोनों पति-पत्नी की आय पर निर्भर परिवारों के लिए अनिश्चितता पैदा हो गई। इसलिए क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने H-4 EAD नियम को रद्द करने की मांग की थी। वह नियम पति-पत्नी को काम करने की अनुमति देता था। इसके अतिरिक्त कुख्यात मुस्लिम प्रतिबंध ने दक्षिण एशियाई मुस्लिम समुदायों के बीच भय पैदा कर दिया। उन्हे यात्रा प्रतिबंधों से सीधे तौर पर प्रभावित न होने पर भी बढ़ी हुई जांच और भेदभाव का सामना करना पड़ा।
जब कमला हैरिस को अगस्त 2020 में हमारे द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में जो बाइडेन के साथी के रूप में पेश किया गया था तो राष्ट्रपति बाइडेन ने उनकी भारतीय जड़ों और आप्रवासी हैसियत को पहचानकर उन्हें सम्मानित किया था। उन्होंने कहा कि वह स्मार्ट है, परखी हुई है, तैयार हैं और उनकी मां की भारत से अमेरिका तक की आप्रवासी यात्रा उन्हे प्रेरक बनाती है। यह कहानी दक्षिण एशियाई प्रवासियों में गहराई से गूंजती है। हमारे परिवार भी साहस, बलिदान और बेहतर भविष्य की तलाश के इस रास्ते पर चले हैं।
कमला हैरिस अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलीं। उनकी मां डॉ. श्यामला गोपालन, 19 साल की उम्र में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका आईं। इस बात और रास्ते को हमारे समुदाय में कई लोग अच्छी तरह से जानते हैं। हैरिस गर्व के साथ अपनी परवरिश को याद करती हैं। चेन्नई (तब मद्रास) में अपने दादा-दादी से मिलने, अपने दादा के साथ लंबी सुबह की सैर पर जाने और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बोलते हुए सुनने की यादें ताजा करती हैं। वह अपनी विरासत से शक्ति प्राप्त करती है। विरासत उनकी प्रेरणा का स्रोत है जिसने न्याय और सार्वजनिक सेवा के प्रति उसके जुनून को आकार दिया है। जैसा कि वह अक्सर कहती हैं कि जब आप दुनिया में अन्याय देखते हैं, तो आपका दायित्व है कि आप इसके बारे में कुछ करें। उनके परिवार द्वारा दी गई यह सीख उनको हर दिन हमारी खातिर लड़ने के लिए प्रेरित करती है।
बाइडेन-हैरिस प्रशासन के तहत हमने अमेरिका-भारत संबंधों में अभूतपूर्व गहराई देखी है। उपराष्ट्रपति हैरिस इन संबंधों को मजबूत करने में एक प्रमुख हस्ती रही हैं। इस बात को जुलाई 2023 में रेखांकित किया गया था जब उन्होंने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए राजकीय भोज की मेजबानी की थी। अपनी टिप्पणी में हैरिस ने प्रौद्योगिकी में नवाचारों से लेकर जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में अपनी भूमिका तक वैश्विक मंच को आकार देने में भारत के महत्व को स्वीकार किया। उनके नेतृत्व में हम भारत के साथ ऐसी साझेदारी देखना जारी रखेंगे जिससे न केवल दोनों देशों को लाभ होगा बल्कि वैश्विक लोकतंत्र और सुरक्षा भी मजबूत होगी।
कूटनीति से परे, हैरिस संयुक्त राज्य अमेरिका में दक्षिण एशियाई प्रवासियों की एक अथक वकील रही हैं। उपराष्ट्रपति के निवास पर हमारे साथ दिवाली मनाने से लेकर होली, महावीर जयंती, भारत के स्वतंत्रता दिवस, बैसाखी और बुद्ध पूर्णिमा जैसे भारतीय त्योहारों को मान्यता देने तक उन्होंने हमारी संस्कृति को उस तरह से अपनाया है जैसा पहले किसी उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने नहीं किया है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारा समुदाय अमेरिकी ताने-बाने का एक अभिन्न अंग है। उनके कार्य शब्दों से अधिक स्पष्ट हैं। इनमें वीजा पहुंच का विस्तार करने और ग्रीन कार्ड बैकलॉग को सुव्यवस्थित करने के उनके प्रयास भी शामिल हैं। ये प्रयास हममें से कई लोगों को प्रभावित करते हैं।
इस चुनाव में दक्षिण एशियाई वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे। लगभग 50 लाख की संख्या के साथ मजबूत हमारा समुदाय पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, नेवादा और एरिजोना जैसे कांटे की जंग वाले इलाकों में महत्वपूर्ण है। हमारे पास एक शक्तिशाली आवाज है। अब यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि इसे सुना जाए। कमला हैरिस एक ऐसी उम्मीदवार हैं जो हमारी यात्रा को समझती हैं और हमारे मूल्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें ऐसे उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए इस क्षण का लाभ उठाना चाहिए जो न केवल हमारा प्रतिनिधित्व करता है बल्कि उन मूल्यों और आकांक्षाओं का भी प्रतीक है जिन्हें हम प्रिय हैं। उपराष्ट्रपति हैरिस पहले ही इतिहास बना चुकी हैं। और हम मिलकर उन्हें इसे फिर से लिखने में मदद कर सकते हैं। आइए हम राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस का समर्थन करने के लिए एकजुट हों। हमारे देश और विश्व का भविष्य इस पर निर्भर करता है।
(लेखक भुटोरिया, उप राष्ट्रीय वित्त अध्यक्ष, डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी, हैरिस फॉर प्रेसिडेंट फाइनेंस कमेटी और AAPI सामुदायिक नेता हैं)
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