भारतीय-अमेरिकी गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और परोपकारी जसवंत मोदी ने भगवान महावीर प्राकृत फैलोशिप प्रोग्राम के पांचवें बैच को समर्थन दिया है। इस प्रोग्राम का मकसद जैन साहित्य में एक महत्वपूर्ण प्राचीन भारतीय भाषा प्राकृत के अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा देना है।
यह फैलोशिप इंटरनेशनल स्कूल फॉर जैन स्टडीज (ISJS) द्वारा संचालित है। यह अपने 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिए आठ प्रतिभागियों का स्वागत करेगा, जो पिछले महीने शुरू हुआ था। ISJS पुणे, भारत में स्थित है। यह दुनिया भर में और विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका में जैन अकादमिक अध्ययन को बढ़ावा देता है।
ISJS के नए कैंपस में आयोजित यह नौ महीनों का आवासीय कार्यक्रम फैलो को उन्नत प्राकृत अध्ययन की गहराई में पूरी तरह से डुबने और रमने का मौका देता है। मोदी का वित्तीय सहयोग सभी जरूरी खर्चों को कवर करेगा, जिसमें अध्ययन सामग्री और आवास शामिल है। इसके अलावा प्रतिभागियों को इस क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों से रूबरू होने का मौका देता है।
मोदी ने फैलोशिप के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'भगवान महावीर प्राकृत फैलोशिप प्रोग्राम का समर्थन करना एक सम्मान की बात है। क्योंकि यह प्राकृत की समझ को संरक्षित और आगे बढ़ाने के लिए समर्पित विद्वानों की एक नई पीढ़ी को पोषित करता है।'
संस्था की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक, इस फैलोशिप के लिए चयन की प्रक्रिया बहुत सख्त होती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सिर्फ सबसे योग्य उम्मीदवारों को ही प्रवेश मिले। इसके साथ ही इस प्रोग्राम का लक्ष्य ऐसे विद्वान पैदा करना है जो इस क्षेत्र में स्थायी योगदान दे सकें।
मोदी मूल रूप से भारत में गुजरात राज्य के गोधरा शहर से हैं। उन्होंने अपने जैन धर्म द्वारा निर्देशित परोपकार के लिए अपनी चिकित्सा कैरियर और जीवन को संतुलित किया है। इस फैलोशिप के लिए उनका समर्थन जैन धर्म के मूल मूल्यों, शिक्षा, आध्यात्मिकता और करुणा को बढ़ावा देने के उनके व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है। मोदी बी.जे. मेडिकल कॉलेज से स्नातक हैं। 1975 में वह संयुक्त राज्य अमेरिका आ गए, जहां परोपकारी कार्यों के साथ उनका जीवन समाज के लिए समर्पित है।
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