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जैन धर्म में योगदान के लिए जसवंत मोदी को सम्मानित किया गया

अहिंसा सम्मान पाने के बाद मोदी ने कहा कि जैन धर्म के संदेश और सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए मेरी प्रतिबद्धता अटूट है और मैं इन प्रयासों के परिवर्तनकारी प्रभाव में विश्वास करता हूं।

जसवंत मोदी एक सेवानिवृत्त गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और परोपकारी हैं। / Image : drjasvantmodi.net

जसवंत मोदी को यूके के हाउस ऑफ कॉमन्स में आयोजित 20वें अहिंसा दिवस पर वार्षिक अहिंसा पुरस्कार, 2023 से सम्मानित किया गया। मोदी को विश्व स्तर पर जैन धर्म को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। 

जसवंत मोदी एक सेवानिवृत्त गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और परोपकारी हैं। सम्मान समारोह के अवसर पर मोदी ने जैनोलॉजी संस्थान (IOJ) को 30,000 डॉलर की बड़ी राशि देने का वादा किया है। यह उत्सव के दौरान 1.5 मिलियन डॉलर के बड़े योगदान का एक हिस्सा था। इस दान राशि का इस्तेमाल बर्मिंघम विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा अनुसंधान कार्यों के लिए किया जाएगा। 

जसवंत मोदी ने एक संरक्षक के रूप में IOJ को अतिरिक्त रूप से 10,000 डॉलर का उपहार भी दिया है। IOJ ने दिवंगत जैन विद्वान पॉल डंडास की पुस्तकों और पांडुलिपियों के संग्रह को बर्मिंघम विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की योजना का भी खुलासा किया। इस संग्रह में लगभग 4,000 पुस्तकें शामिल हैं। इसके अलावा बर्मिंघम विश्वविद्यालय ने वर्षगांठ कार्यक्रम के दौरान जैन अध्ययन में भगवान धर्मनाथ चेयर का भी शुभारंभ किया।

पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में जन्म लेने वाले मोदी 1975 में संयुक्त राज्य अमेरिका आये थे। उन्होंने बीजे मेडिकल कॉलेज और शिकागो, इलिनोइस में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में रेजीडेंसी में अध्ययन किया।

अहिंसा सम्मान पाने के बाद मोदी ने कहा कि अहिंसा दिवस के उत्सव में भाग लेना और उच्च शिक्षा संस्थानों में जैन धर्म को कायम रखना सम्मान की बात है। जैन धर्म के संदेश और सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए मेरी प्रतिबद्धता अटूट है और मैं इन प्रयासों के परिवर्तनकारी प्रभाव में विश्वास करता हूं।
 

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