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मोदी की 'तीसरी जीत' से आईओसी-यूएसए को यह आशंका

आईओसी-यूएसए ने कहा है कि समानता के संवैधानिक मूल्यों की बढ़ती अवहेलना और धर्म के आधार पर भेदभाव का चिंताजनक वैधीकरण लोकतंत्र के लिए एक अभूतपूर्व खतरा है। ऐसे में सत्ता परिवर्तन की आज सर्वाधिक जरूरत है।

Image: Supplied /

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीसरी जीत की 'आशंका' से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस, यूएसए (आईओसी-यूएसए) चिंतित है। बल्कि मोदी की 'तीसरी जीत' को आईओसी-यूएसए ने लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है और आगामी लोकसभा चुनाव को देश के लिए एक चुनौती करार दिया है। 

आईओसी-यूएसए ने मीडिया से साझा एक पत्र में कहा कि भारत का आगामी लोकसभा चुनाव अब तक का सबसे बड़ा चुनाव है। ऐसे में लोकतंत्र के अगुआ के रूप में देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी के लिए संभावित तीसरा कार्यकाल देश को चुनावी निरंकुशता की ओर ले जा सकता है। इससे लोकतांत्रिक सिद्धांतों की नींव को खतरा हो सकता है। 

आईओसी-यूएसए ने कहा है कि समानता के संवैधानिक मूल्यों की बढ़ती अवहेलना और धर्म के आधार पर भेदभाव का चिंताजनक वैधीकरण लोकतंत्र के लिए एक अभूतपूर्व खतरा है। ऐसे में सत्ता परिवर्तन की आज सर्वाधिक जरूरत है। आज युवाओं के बीच बेरोजगारी (44.5) एक बड़ी चिंता है और मनरेगा जैसी योजनाओं की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि 20 से 24 साल के नौजवानों के पास रोजगार नहीं है। मनरेगा की मांग का बढ़ना अपने आप में इस सच्चाई को उजागर करता है कि भारत के युवा बेरोजगारी से परेशान हैं। 

आईओसी-यूएसए ने कहा कि पीएम मोदी ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य का जो वायदा किया था वह भी अधूरा ही है। महिलाओं पर अत्याचार के मामले भी देश में लगातार बढ़ रहे हैं और सामने आ रहे हैं। मणिपुर की हालिया घटना इसी बात का सुबूत है। ऐसे में देश को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो न केवल आधी आबादी की सुरक्षा की गारंटी दे बल्कि उसका आत्मसम्मान भी सुनिश्चित करे। 

आईओसी-यूएसए ने कहा कि मोदी प्रशासन ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए भाजपा विरोधियों को डराने और धन उगाही करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों को अपना हथियार बना लिया है।

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