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इंटरव्यू : बाइडन को फिर से व्हाइट हाउस का रास्ता दिखा सकते हैं दक्षिण एशियाई अमेरिकी

न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक बातचीत में कृष्णन ने कहा कि हमारा इरादा राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को फिर से चुनने में मदद करने के लिए दक्षिण एशियाई समुदाय को जीत के अंतर के लिए एकजुट करना है। कृष्णन ने 2020 के अभियान के दौरान बाइडन के लिए दक्षिण एशियाई लोगों के साथ पूर्व राष्ट्रीय (जमीनी) आयोजन अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।

साउथ एशियंस फॉर अमेरिका की राष्ट्रीय (आयोजन) अध्यक्ष हरिनी कृष्णन का कहना है कि प्रजनन अधिकार और बंदूक नियंत्रण दक्षिण एशियाई अमेरिकियों के लिए प्रमुख मुद्दे हैं जो राष्ट्रपति जो बाइडन के पुन: चुनाव अभियान में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

अनुमानित रूप से 54 लाख दक्षिण एशियाई लोग अमेरिका में रहते हैं। इनमें से अधिकांश भारतीय-अमेरिकी हैं। यानी करीब 48 लाख। विभिन्न स्रोतों के आंकड़ों के अनुसार लगभग 32 लाख दक्षिण एशियाई अमेरिकी वोट देने के अधिकारी हैं। APIA वोट आंकड़ों के अनुसार समुदाय का 68 प्रतिशत हिस्सा डेमोक्रेट्स की ओर झुकाव रखता है। कुल मिलाकर 15 लाख से अधिक एशियाई अमेरिकी इस वर्ष मतदान के अधिकारी हैं। एशियाई अमेरिकी सबसे तेजी से बढ़ती मतदाता आबादी भी है। ऐसे में जहां प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों में कांटे की टक्कर होगी वहां ये मतदाता जीत-हार को प्रभावित करने वाले साबित हो सकते हैं। 

न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक बातचीत में कृष्णन ने कहा कि हमारा इरादा राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को फिर से चुनने में मदद करने के लिए दक्षिण एशियाई समुदाय को जीत के अंतर के लिए एकजुट करना है। कृष्णन ने 2020 के अभियान के दौरान बाइडन के लिए दक्षिण एशियाई लोगों के साथ पूर्व राष्ट्रीय (जमीनी) आयोजन अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। हालांकि रिपब्लिकन नामांकन प्राप्त करने के लिए ट्रम्प की एकमात्र प्रतिद्वंद्वी और रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार निक्की हेली ने साहसिक प्रयास किया किंतु 2024 का आम चुनाव 2020 की बाइडन-ट्रम्प भिड़ंत जैसा होना लगभग तय है।

यह संकेत कई सर्वेक्षणों से मिला कि हेली आम चुनाव में बाइडन से बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं लेकिन रिपब्लिकन मतदाताओं का अब भी मानना ​​है कि ट्रम्प अधिक चुनाव योग्य हैं। वैसे भी ट्रम्प ने उन्हे साउथ कैरोलिना प्राइमरी में पराजित कर ही दिया है। कृष्णन ने कहा कि दक्षिण एशियाई लोग विकल्प की परवाह करते हैं। उपराष्ट्रपति हैरिस अपनी प्रजनन अधिकार रैलियों के साथ देश भर में यात्रा करते हुए इस मुद्दे की मुखर आवाज रही हैं। 

कृष्णन स्वयं दो बेटियों की मां हैं। वह कहती हैं कि 70% दक्षिण एशियाई लोग अपने शरीर के साथ जो चाहें करने का विकल्प चाहते हैं। वैसे भी गर्भपात के अधिकार का प्रयोग करने वाली महिलाओं का एक बड़ा प्रतिशत अंततः एशियाई अमेरिकी महिलाएं और विशेष रूप से दक्षिण एशियाई महिलाएं होती हैं। हो सकता है कि ये बातें हम अपने समुदाय में न करें लेकिन बहुत सी महिलाओं के दिमाग में रहती है। 

24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अमेरिकी संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता। फैसले के बाद से 24 राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया। गटमाकर इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार 20 दक्षिण एशियाई अमेरिकी महिलाओं में से एक गर्भपात करा चुकी है। 

कृष्णन कहती हैं कि भारतीय अमेरिकियों के लिए एक अन्य प्रमुख मुद्दा है बंदूक संस्कृति। हम देखते हैं कि लोग हथियार के साथ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे या किसी भी दुकान पर पहुंच जाते हैं। कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। लोग स्कूल-कॉलेज जाने वाले अपने बच्चों को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि मास शूटिंग आम बात है। ऐसे में जो लोग वोटिंग करने के लिए नहीं निकलते उन्हे बाइडन-हैरिस के पक्ष में मतदान करने से वर्तमान सत्ता के लिए माहौल बन सकता है। यह रणनीति जॉर्जिया में कारगर साबित हुई थी। जॉर्जिया में एशियाई अमेरिकी मतदाताओं की सबसे बड़ी आबादी है।

बकौल कृष्णन बाइडन एक ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में पिछले कई राष्ट्रपतियों की तुलना में अधिक उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने सही अर्थों में विविधता को अपनाया है। ओबामा प्रशासन की तुलना में प्रशासन में AAPI नियुक्तियों की संख्या दोगुनी हो गई है। यही नहीं AAPI समुदाय में पहले से कहीं अधिक निवेश हुआ है।

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