भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने अमेरिका यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों से बातचीत की। इस दौरान वार्ता में उन्होंने भारतीय राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में चल रही लड़ाई संविधान के लिए और उसकी खिलाफत के विरोध की लड़ाई है। यह एक तरह से दार्शनिक लड़ाई है, जो वर्षों से चली आ रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में राजनीति ने बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं। हमारी कांग्रेस पार्टी ने 1970 के दशक में बैंकों के राष्ट्रीयकरण और 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण जैसे बड़े बदलाव किए हैं और समय-समय पर खुद को फिर से स्थापित किया है। कांग्रेस पार्टी के पास खुद को मजबूत करने की क्षमता है और मेरा मानना है कि इस समय हम यही कर रहे हैं।
2024 के आम चुनावों पर बोलते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि चुनाव अब खेल का निष्पक्ष मैदान नहीं रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के प्रमुख संस्थानों पर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद इंडिया अलायंस अब एकजुट होकर आगे बढ़ रहा है। विपक्षी दलों को भविष्य में काफी उम्मीदें हैं।
राहुल गांधी ने कांग्रेस के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी खुलकर अपनी बात रखी और पार्टी के बैंक खाते फ्रीज करने और मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने जाति जनगणना और भारतीय संस्थानों में अधिक समावेशिता लाने की वकालत करते हुए कहा कि भारत की आबादी का 90 प्रतिशत जिसमें निचली जातियां, दलित, आदिवासी और अन्य हाशिए पर पडे समुदाय आते हैं, उनका व्यापार, मीडिया और न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
उन्होंने आगे कहा कि जाति जनगणना से यह पता चल सकता है कि ये समूह सिस्टम में कितना एकीकृत हुए हैं। उन्होंने अन्य क्षेत्रों में उनकी भागीदारी आंकने के लिए सामाजिक आर्थिक और संस्थागत सर्वेक्षणों की भी वकालत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीतिक लड़ाई जारी है। सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को लेकर भी जन जागरूकता बढ़ रही है।
राहुल गांधी ने निष्पक्ष और अधिक समावेशी भारत बनाने के प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि मैं ऐसे देश में नहीं रहना चाहता जहां 90 फीसदी लोगों के पास अवसर नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भविष्य को लेकर कहा कि उनकी पार्टी देश की गहराई तक जड़ें जमा चुकी असमानताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अपनी राष्ट्रव्यापी पदयात्रा 'भारत जोड़ो यात्रा' से मिले अनुभवों का जिक्र करते हुए राहुल ने राजनीति में प्रेम की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्यार और स्नेह ऐसे मूल्य हैं जिन्हें हर कोई स्वीकार करता है। ये भावनाएं हर जगह नजर आती हैं। भारत की ताकत उसके एकीकरण में है, न कि विविधता को बिखेरने में।
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