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123 वर्षों में सबसे गर्म रहा साल 2024, भारत में जलवायु परिवर्तन का भीषण असर

भारत में 2024 में सबसे लंबी हीटवेव आई थी, जब सबसे ज्यादा दिनों तक लगातार तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा था।

भीषण गर्मी की वजह से इंसानों के अलावा फसलें भी बुरी तरह प्रभावित हुईं। / REUTERS/Leonhard Foeger/File

साल 2024 में भारत में मौसम के चरम ने 123 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में 2024 को साल 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया है। इसकी प्रमुख वजह जलवायु परिवर्तन है। 

भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि साल 1901 के बाद वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है। 2024 में पूरे भारत में वार्षिक औसत सतही तापमान 1991-2020 की अवधि के दीर्घकालिक औसत के मुकाबले 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

संयुक्त राष्ट्र ने पिछले महीने 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष बताया था। जलवायु परिवर्तन की वजह से वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर चरम मौसम और रिकॉर्ड गर्मी देखी गई। इससे प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा मिला और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

भारत में पिछले साल सबसे लंबी हीटवेव देखी गई थी, जब सबसे ज्यादा दिनों तक लगातार तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा था। राजधानी नई दिल्ली में मई में एक हीटवेव के दौरान तापमान 49.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इससे पहले 2022 में भी इतना टेंपरेचर पहुंचा था। 

भारत ग्रीनहाउस गैसों के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। हालांकि उसने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था बनने का संकल्प लिया है। फिलहाल वह बिजली उत्पादन के लिए काफी हद तक कोयले पर निर्भर है।

ग्लोबल वार्मिंग की प्रमुख वजह बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन के जलने को बताया जाता है। इसके कारण वातावरण और समुद्र भी गर्म हो रहे हैं। महासागरों के गर्म होने से वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे तीव्र तूफान आते हैं और अत्यधिक बारिश होती है। इसका दुष्प्रभाव संपत्ति से लेकर मानवों तक पर पड़ता है।

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