भारतीय मूल की अमेरिकी छात्रा शिवानी पारिख का मानना है कि अमेरिका में रहने वाले ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को कानून के पेशे से जुड़ना चाहिए ताकि वे गहन ज्ञान और सांस्कृतिक आधार पर अन्याय को बेहतर तरीके से समझ सकें और उसके निदान में योगदान दे सकें।
Desis Decide समिट से इतर न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में कानून की छात्रा शिवानी पारिख ने कहा कि अधिकतर भारतीय-अमेरिकी प्रवासी पैरेंट्स उम्मीद करते हैं कि उनके बच्चे मैथ और साइंस जैसे विषयों की पढ़ाई पर ध्यान लगाएं। इसकी एक वजह ये है कि भारत से अमेरिका आए बहुत से लोग एसटीईएम, इंजीनियरिंग, मेडिकल या हेल्थकेयर बैकग्राउंड से हैं। ऐसे में ये स्वाभाविक है कि वे अपने बच्चों को गणित और साइंस में हुनरमंद बनाना चाहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब हम फाउंडेशन स्किल्स को सीखने के बाद करियर में पर्याप्त तरक्की नहीं कर पाते, तब हम पब्लिक स्पीकिंग, इंग्लिश में प्रभावी लेखन, नए-नए शब्दों को सीखने और एडवांस किताबों को पढ़ने की तरफ जाते हैं। ये हमें नई स्किल्स प्रदान करते हैं।
पारिख का कहना था कि पब्लिक स्पीकिंग और भाषा की अच्छी समझ जैसे हुनर कानून के पेशे में महत्वपूर्ण होते हैं। अक्सर हम उच्च शिक्षा हासिल करते समय इन्हें तवज्जो नहीं देते। लेकिन जब हम युवाओं में इन सॉफ्ट स्किल्स को अहमियत नहीं देते हैं, तब कानून की जानकारी करना बेहद कठिन हो जाता है।
पारिख का कहना था कि पैरेंट्स को अपने बच्चों को अलग अलग सब्जेक्ट पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। मैं अपनी बात बताऊं तो मेरे पैरेंट्स ने मुझसे ये कभी नहीं कहा कि हम तुम्हें वकील बनाना चाहते हैं। लेकिन जब मैंने इस पेशे में रुचि दिखाई तो उन्होंने मेरे फैसले का सम्मान किया।
पारिख ने कहा कि मेरी नागरिक प्रशासन में दिलचस्पी थी। मैं राजनीतिक रूप से मुखर बनना चाहती थी। मेरा रुख देखकर उन्होंने कभी मना नहीं किया। उनका बस यही प्रयास था कि मैं कोई ऐसा काम करूं, जिस पर उन्हें गर्व हो। मेरे पैरेंट्स ने मुझे वो पेशा चुनने की आजादी दी, जो मुझे पसंद है। इसके लिए मैं उन्हें बहुत बड़ा धन्यवाद कहना चाहती हूं।
शिवानी पारिख ने इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट की तरफ से आयोजित पैनल चर्चा के सबसे ज्यादा चर्चित विषय पर भी अपनी राय रखी, जो था कि क्या भारतीय अमेरिकियों को अमेरिकी राजनीति में प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहिए।
पारिख ने कहा कि अमेरिकी लोकतंत्र का हिस्सा बनने का क्या मतलब है और इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित होने का क्या मतलब है? हम भारतीय-अमेरिकियों को सिर्फ इसलिए इस प्रक्रिया से दूर नहीं कर देना चाहिए कि उन्होंने हमसे संपर्क नहीं किया। हमें यह मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है कि हम उम्मीदवारों से क्या चाहते हैं। उसके बाद हमें उन्हें हमारे प्रति जवाबदेह ठहराना चाहिए।
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