यूनाइटेड किंगडम में कड़े छात्र वीज़ा नियमों से भारतीय नागरिकों को महत्वपूर्ण प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है। आव्रजन आंकड़ों के अनुसार जारी किए गए छात्र और आश्रित वीज़ा में भारी गिरावट दर्ज की गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, ब्रिटेन में जून 2024 तक 1.2 मिलियन अप्रवासी दर्ज किए गए। इनमें से 86 प्रतिशत गैर-यूरोपीय संघ के नागरिक थे, 10 प्रतिशत यूरोपीय संघ के देशों से थे, और 5 प्रतिशत ब्रिटिश रिटर्न वाले थे।
2.4 लाख आगमन के साथ भारतीय नागरिकों ने गैर-ईयू इमीग्रेशन का नेतृत्व किया। हालांकि, आश्रितों को लाने पर नए प्रतिबंध और पढ़ाई के बीच में कार्य वीजा पर स्विच करने के लिए सख्त नियम लागू होने के बाद भारतीयों के लिए छात्र वीजा जारी करने में काफी गिरावट आई है।
बता दें कि जनवरी 2024 में तत्कालीन प्रधान मंत्री ऋषि सनक के तहत पेश किए गए परिवर्तनों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों, विशेष रूप से भारत से, के लिए परिदृश्य बदल दिया था, जो पहले प्रायोजित अध्ययन वीजा की आमद पर हावी थे। अक्टूबर 2023 और सितंबर 2024 के बीच, कुल छात्र वीजा 19 प्रतिशत गिरकर 392,969 हो गया, जबकि आश्रित वीजा 69 प्रतिशत गिरकर 46,961 हो गया।
इन परिवर्तनों से पहले, जून 2023 तक भारतीय नागरिकों को 1,42,848 प्रायोजित पढ़ाई के वीज़ा मिले थे, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54 प्रतिशत की वृद्धि है, जिससे वे छात्र वीज़ा प्राप्तकर्ताओं का सबसे बड़ा समूह बन गए।
विश्वविद्यालयों पर प्रभाव
नीतिगत बदलावों ने ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों को बाधित कर दिया है, जो लंबे समय से राजस्व के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर निर्भर रहे हैं। बता दें कि भारत काम, अध्ययन और शरण के लिए गैर-ईयू प्रवासन में अग्रणी रहा है, इसके बाद नाइजीरिया (120,000), पाकिस्तान (101,000), चीन (78,000), और ज़िम्बाब्वे (36,000) का स्थान है।
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