उच्च शिक्षा के लिए कनाडा जाने वाले भारतीयों का रुझान लगातार घट रहा है। एडटेक कंपनी अपग्रेड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीय छात्र कनाडा के बजाय अब यूरोपीय देश खासकर जर्मनी को तवज्जो देने लगे हैं।
अपग्रेड की एनुएल स्टडी अब्रॉड ट्रेंड्स रिपोर्ट 3.0 में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि कनाडा के प्रति भारतीय छात्रों के मोहभंग की वजह दोनों देशों के बीच हालिया राजनयिक तनाव है। भारतीय छात्रों को स्टडी परमिट में कटौती के अलावा कनाडा में रहने का बढ़ता खर्च और नौकरियों को लेकर अनिश्चिचतता भी इसकी प्रमुख वजह है।
अपग्रेड ने दावा किया है कि उसके सर्वे में महज 9.3 प्रतिशत छात्रों ने ही 2024 में कनाडा जाकर पढ़ाई करने की इच्छा जताई। इसके उलट यूरोपीय देशों को पसंद करने वाले छात्रों की संख्या 48.8 प्रतिशत रही। स्टडी के लिए अमेरिका जाने के इच्छुक छात्रों की संख्या 27.7 प्रतिशत और यूके के लिए 9.5 प्रतिशत रही।
यह सर्वे भारत की टियर-1 मेट्रो सिटीज और टियर-3 के शहरों में 25 हजार छात्रों पर किया गया था। अपग्रेड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके पिछले सर्वे के मुकाबले यूके को स्टडी डेस्टिनेशन मानने वाले छात्रों की संख्या में 11.34 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी एक वजह यूके सरकार द्वारा डिपेंडेंट वीजा पॉलिसी को खत्म करना है।
यूरोपीय देशों के अंदर पसंदीदा स्टडी डेस्टिनेशन की बात करें तो जर्मनी सबसे आगे हैं। सर्वे में शामिल करीब 32.6 प्रतिशत भारतीय छात्र 2024 में वहां जाकर उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं। इसके बाद आयरलैंड (3.9 प्रतिशत), फ्रांस (3.3 प्रतिशत) और अन्य यूरोपीय देश (9 प्रतिशत) आते हैं।
पढ़ाई के लिए विदेश जाने के इच्छुक भारतीय छात्रों में सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं। उसके बाद कॉमर्स की डिग्री धारकों का नंबर है। ज्यादातर छात्र अच्छी नौकरी की उम्मीद में विदेश पढ़ाई करने जाते हैं। दूसरे नंबर पर अच्छी शिक्षा और उसके बाद उस देश में स्थायी रूप से बसने की संभावनाओं के आधार पर अपना फैसला करते हैं।
सर्वे में शामिल लगभग 45.7 प्रतिशत छात्र मानते हैं कि विदेश में पढ़ाई करने से उनकी अच्छी नौकरी की उम्मीद बढ़ जाती है। उन्हें ग्लोबल जॉब मार्केट का एक्सपोजर मिलता है और उनकी प्रोफेशनल ग्रोथ अच्छी हो जाती है। विदेश में जाने वाले भारतीय छात्र सबसे ज्यादा (55.6 प्रतिशत) मैनेजमेंट की डिग्री लेने जाते हैं। लगभग 28.7 प्रतिशत छात्र कंप्यूटर साइंस और आईटी की डिग्री लेने जाते हैं।
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