फ्लोरिडा स्थित एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग फिजिक्स के प्रोफेसर और स्पेस एंड एटमॉस्फेरिक इंस्ट्रूमेंटेशन लैब (SAIL) के निदेशक भारतीय मूल के वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या 8 अप्रैल को पूर्ण सूर्य ग्रहण के साथ एक वैज्ञानिक मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। बड़जात्या को सूर्य के अनदेखे राज खोलने वाले एक बड़े मिशन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस खगोलीय घटना को उत्तरी अटलांटिक से लगे मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा में रहने वाले लोग साफ देख सकेंगे।
ग्रहण उत्तरी अमेरिका को पार करेगा, मैक्सिको, टेक्सास से मेन और कनाडा के अटलांटिक तट से गुजरेगा। ग्रहण के दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देगा, जिसके परिणामस्वरूप आकाश में अस्थायी रूप से अंधेरा छा जाएगा। सूर्य ग्रहण के दौरान इन देशों के कुछ हिस्सों में आसमान कुछ देर के लिए काला हो जाएगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण जिस रास्ते से होकर गुजरेगा, उसे पॉथ ऑफ टोटलिटी कहते हैं। यह 181 किलोमीटर चौड़ी पट्टी के साथ मेक्सिको से शुरू होगा और अमेरिका होते हुए कनाडा तक जाएगा।
नासा ने बड़जात्या के नेतृत्व में एक्लिप्स पाथ (APEP) मिशन के आसपास वायुमंडलीय उतार चढ़ाव की घोषणा की है। नासा वर्जीनिया में नासा के वाल्लोप्स फ्लाइट फैसिलिटी से तीन ब्लैक ब्रैंट IX साउंडिंग रॉकेट तैनात करेगा। मिशन का उद्देश्य पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के एक क्षेत्र आयनमंडल पर सूर्य के अचानक गायब होने के प्रभावों की जांच करना है। उन्होंने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य यह देखना है कि सूर्य की रोशनी में अचानक आई कमी हमारे ऊपरी वायुमंडल को किस तरह प्रभावित करती है।
14 अक्टूबर, 2023 के आंशिक सूर्य ग्रहण के दौरान न्यू मैक्सिको की व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज से किए गए पहले मिशन पर विचार करते हुए बड़जात्या ने कहा कि छाया के गुजरने के साथ ही हमने चार्ज्ड पार्टिकल डेंसिटी में उल्लेखनीय कमी देखी। इसके अलावा हमने दूसरे और तीसरे रॉकेट में गड़बड़ी की शुरुआत और प्रगति का पता लगाया।
बड़जात्या ने कहा कि इन निष्कर्षों की पूर्ण ग्रहण के दौरान एकत्रित आंकड़ों से तुलना करके हमारा लक्ष्य यह जांचना है कि क्या डिस्टर्बेंस एक ही ऊंचाई पर उत्पन्न हुआ और क्या उनकी तीव्रता लगातार बनी हुई है। बड़जात्या ने आयन्सफेरिक गड़बड़ी का अध्ययन करने में उपग्रहों के पारंपरिक उपयोग पर रोशनी डाली।
बड़जात्या ने बताया कि उपग्रहों को पारंपरिक रूप से आयन्सफेरिक गड़बड़ी का अध्ययन करने के लिए नियोजित किया गया है, जो कई वर्षों में व्यापक जानकारी पेश करते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि ग्रहण जैसी विशिष्ट घटनाओं का पता लगाने के लिए सैटेलाइट्स को हमेशा उचित रूप से तैनात नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सैटेलाइट आमतौर पर 300 किमी से अधिक ऊंचाई पर काम करते हैं, जो ग्रहण जैसी घटनाओं के दौरान आयनस्फेयर के निचले स्तर पर डेटा को पकड़ने की उनकी क्षमता को सीमित कर सकता है। बड़जात्या ने विशेष रूप से आयनस्फेयर की कम ऊंचाई पर केंद्रित वैज्ञानिक जांच करने के लिए साउंडिंग रॉकेटों की उपयोगिता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल को सूर्य ग्रहण के बाद अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण जो 23 अगस्त, 2044 को अमेरिका में नजर आएगा।
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