कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ जंग में भारत को अहम कामयाबी हासिल हुई है। भारत के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के शोधकर्ताओं ने कैंसर कोशिकाओं से लड़ने वाली एंटीबॉडी का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक तरीका विकसित किया है। ये तरीका कैंसर का टीका विकसित करने की दिशा में नई संभावनाएं खोल सकता है।
संस्थान की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पीएचडी के छात्र टीवी कीर्थना और उनके शोध पर्यवेक्षक एन जयरामन ने एक सिंथेटिक यौगिक विकसित किया है, जो खून में एक विशेष प्रोटीन से जुड़कर लिम्फ नोड तक जा सकता है और कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ा सकता है।
A synthetic antigen designed by IISc researchers can latch on to a protein in blood and hitchhike to the lymph node, where it can boost the production of #antibodies against #cancer cells. https://t.co/A6wlMyhRN6#IIScresearch pic.twitter.com/at7g7SeSva
— IISc Bangalore (@iiscbangalore) April 22, 2024
कैंसर कोशिकाओं में चूंकि ऐसी एंटीबॉडी के उत्पादन को रोकने की क्षमता होती है जो उन्हें खत्म कर सकती हैं, ऐसे में वैज्ञानिकों को एंटीबॉडी उत्पादन को सक्रिय करने के लिए कैंसर कोशिकाओं की सतह पर मौजूद एंटीजन में या तो बदलाव करने की जरूरत होती है या फिर उसकी संशोधित नकल बनानी पड़ती है।
हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों ने इन एंटीजन को बनाने के लिए कैंसर कोशिकाओं की सतहों पर मौजूद कार्बोहाइड्रेट के उपयोग का तरीका खोजा है। इन्हें नकली प्रोटीन या वायरस के कणों का कैरियर की तरह इस्तेमाल करके शरीर के अंदर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन ये कैरियर भारी होते हैं, ये दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं और कभी-कभी कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पादन को भी प्रभावित कर सकते हैं।
आईआईएससी के शोधकर्ताओं ने "हिचहाइकिंग" मैथड के इस्तेमाल से पता लगाया है कि कैरियर के लिए कार्बोहाइड्रेट आधारित एंटीजन के बजाय सीरम एल्ब्यूमिन का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। ये एक प्राकृतिक प्रोटीन होता है, जो खून में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट्स वाले तरीके से ज्यादा प्रभावी हो सकता है।
आईआईएससी के शोधकर्ताओं ने परीक्षणों के दौरान देखा कि एंटीजन मुख्य रूप से लिम्फ नोड्स में जमा होते हैं, जहां पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से संबंधित अहम सेलुलर प्रक्रियाएं होती हैं। इनमें किलर टी सेल्स की सक्रियता और एंटीबॉडी उत्पादन जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
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