भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक दशक में भारत-अमेरिका संबंधों को आकार देने में परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है। अमेरिका की उनकी कई यात्राओं ने खासकर 2014 में पदभार संभालने के बाद, न सिर्फ राजनयिक संबंधों को मजबूती दी है बल्कि भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों को भी अभूतपूर्व तरीके से प्रेरित किया है। 2014 में मैडिसन स्क्वायर गार्डन रैली, 2015 में सिलिकॉन वैली यात्रा, 2019 में टेक्सास में "हाउडी मोदी" इवेंट और 2023 में अमेरिका की राजकीय यात्रा के जरिए पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों और भारतीय समुदाय दोनों पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
यात्राओं से संबंधों में मजबूती
पीएम मोदी की अमेरिका यात्राएं दोनों लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इन उच्चस्तरीय जुड़ाव से रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा में दोनों के बीच सहयोग और गहरा हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में पीएम मोदी ने अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प और जो बाइडेन के साथ मिलकर काम किया है, निजी संबंधों को पोषित किया है जिससे द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिला है। मोदी की पहली प्रभावशाली यात्रा 2014 में प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद हुई थी। उस दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क में खचाखच भरे मैडिसन स्क्वायर में लोगों की भीड़ को संबोधित किया था। इस यात्रा ने अमेरिका-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया था।
उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा के साथ उनकी बैठक ने जलवायु परिवर्तन, रक्षा सहयोग और आतंकवाद से निपटने जैसे मुद्दों पर भविष्य में सहयोग का आधार तैयार किया था। राष्ट्रपति ओबामा ने एक बार कहा था कि पीएम मोदी के एक बेहतरीन पार्टनर रहे हैं। उनसे हुई बातचीत के बाद मेरा मानना है कि उनके सुशासन के आदर्श ऐसे हैं जो सभी नागरिकों की उन्नति व समृद्धि का विश्वास जगाते हैं। वे सिर्फ कहते नहीं हैं बल्कि उन बातों पर अमल भी करते हैं।
पीएम मोदी की बाद की अमेरिका यात्राओं ने इन संबंधों को और मजबूत बनाया। पीएम मोदी 2015 में सिलिकॉन वैली की यात्रा पर आए थे और सैप सेंटर इवेंट में हिस्सा लिया था। उस यात्रा का मैं संयोजक था। तब प्रधानमंत्री मोदी का फोकस स्टार्टअप्स, इनोवेशन और टेक्नोलोजी पर था। वह ये जानना चाहते थे कि भारत में इन चीजों को आगे कैसे बढ़ाया जाए। उन्होंने ग्लोबल टेक इंडस्ट्री में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया और भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पहल जैसे कि 'डिजिटल इंडिया' और 'मेक इन इंडिया' के प्रचार प्रसार में भागीदारी का आह्वान किया।
कई टेक कंपनियों का दौरा करने, टेक दिग्गजों से मिलने और पहली बार टेक इंडस्ट्री में भारतीयों का योगदान और भागीदारी को खुद देखने के बाद ही शायद उन्होंने भारत में स्टार्टअप्स और टेक्नोलोजी संबंधी नई नीतियों को आकार दिया। उनकी इस यात्रा के दौरान ही गूगल, फेसबुक और ऐप्पल जैसी प्रमुख कंपनियों ने भारत में अपने कामकाज का विस्तार करने का वादा किया था, जिससे दोनों देशों में व्यापार के नए अवसर और नौकरियां पैदा करने में मदद मिली।
साल 2019 में टेक्सास के ह्यूस्टन में पीएम मोदी का "हाउडी मोदी" इवेंट संभवतः भारत-अमेरिका की ताकत के सबसे स्पष्ट प्रदर्शनों में से एक था। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में यह एक अनूठा पल था जहां एक विदेशी नेता ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ 50,000 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित किया था।
ट्रम्प ने इस मौके पर कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी वाकई भारत और सभी भारतीयों के लिए असाधारण काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और मैं ह्यूस्टन में अमेरिका और भारत को जोड़ने वाली हर चीज चाहे वो हमारे साझा सपने हों या साझा उज्ज्वल भविष्य, सबका जश्न मनाने आए हैं। इस इवेंट ने दोनों देशों के बीच साझेदारी का जमकर जश्न मनाया था। दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध को प्रदर्शित किया, साथ ही ऊर्जा, आतंकवाद और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया।
साल 2023 में बाइडेन प्रशासन के दौरान पीएम मोदी की राजकीय यात्रा ने दोनों देशों के बीच उच्चतम राजनयिक जुड़ाव को प्रदर्शित किया। मोदी को पूरे सम्मान के साथ होस्ट किया गया। इनिशिएट फॉर क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (ICET, जिसके बारे में फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) भी जागरूकता पैदा कर रहा है) के तहत चर्चा के प्रमुख मुद्दों में स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष सहयोग, रक्षा प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते मुद्दे शामिल थे।
इस यात्रा ने वैश्विक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर क्वाड के रणनीतिक महत्व को उजागर किया। जीई एफ-414 इंजन के भारत में निर्माण की मंजूरी, नासा व इसरो के बीच साझेदारी, माइक्रोन का सेमीकंडक्टर बनाने के लिए 825 मिलियन डॉलर निवेश का समझौता आदि इस यात्रा की अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियां रहीं। इस अवसर पर राष्ट्रपति बाइडन ने कहा था कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत के साथ अमेरिका के संबंध अब तक के इतिहास में अधिक अधिक मजबूत, करीबी और गतिशील हैं।
कांग्रेस में मोदी का संबोधन, एक निर्णायक पल
जून 2023 में अपनी राजकीय यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने दूसरी बार अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करके इतिहास रच दिया। यह सम्मान विश्व के कुछ गिने चुने नेताओं को ही हासिल है। यह एक निर्णायक अवसर था जिसने वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
पीएम मोदी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले छठे भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने संबोधन में भारत और अमेरिका को एक डोर में बांधने वाले लोकतंत्र, स्वतंत्रता और आपसी सम्मान के साझा मूल्यों आदि पर प्रकाश डाला। अपने ऐतिहासिक संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने भारतअमेरिका के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित किया, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लेख किया और वैश्विक नेतृत्व के आधार पर भविष्य के लिए साझा दृष्टिकोण पेश किया। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन, टेक्नोलोजी, कोविड वैक्सीन डिप्लोमेसी से लेकर महिला सशक्तिकरण आदि व्यापक विषयों पर भी अपनी बात रखी।
भारतीय-अमेरिकी डायस्पोरा को प्रेरित किया
अमेरिका में भारतीय समुदाय दोनों देशों को संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और पीएम मोदी की यात्राओं ने समुदाय से जुड़ने के एक शक्तिशाली मंच का कार्य किया है। अमेरिका में 45 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं और देश के सबसे प्रभावशाली आप्रवासी समुदायों में से एक हैं। भारतीय अमेरिकियों ने टेक्नोलोजी और बिजनेस से लेकर राजनीति एवं शिक्षा तक विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है।
साल 2014 में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में पीएम मोदी की रैली प्रवासी भारतीयों के भारत से जुड़ाव में एक ऐतिहासिक क्षण था। हजारों भारतीय-अमेरिकी भारत के उज्ज्वल भविष्य और राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से प्रवासियों को जोड़ने की पीएम मोदी के विजन के गवाह बने थे। उनके भाषण ने प्रवासियों में अपने मूल देश के साथ गर्व और गौरव के साथ जुड़ाव की एक नई भावना पैदा की।
2015 में सिलिकॉन वैली की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल डिजिटल इकोनमी को आकार देने में प्रवासी भारतीयों की भूमिका को पहचानते हुए सीधे भारतीय-अमेरिकी टेक लीडर्स से बातचीत की थी। उन्होंने अमेरिका में इनोवेशन को बढ़ावा देने में भारतीय प्रतिभा के महत्व को रेखांकित किया और भारतीय मूल के उद्यमियों व इंजीनियरों को भारत के बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम में योगदान के लिए आमंत्रित किया। इस यात्रा ने अमेरिकी टेक इंडस्ट्री और भारत के तेजी से बदलते डिजिटल इकोसिस्टम के बीच संबंधों को मजबूत बनाया।
2019 का 'हाउडी मोदी' इवेंट हालांकि भारतीय अमेरिकी समुदाय तक संपर्क बनाने की मोदी की कोशिशों का चरम प्रयास था। पीएम मोदी के एकता व सहयोग के संदेश को भीड़ ने भी गहराई से प्रतिध्वनित किया। यह इवेंट अमेरिकी समाज और भारत-अमेरिका पार्टनरशिप में भारतवंशियों के योगदान का उत्सव बन गया।
पीएम मोदी ने आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों से परे भी भारतीय अमेरिकियों के बीच सांस्कृतिक गौरव की भावना को बढ़ावा दिया है। अपने भाषणों के जरिए उन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक परंपराओं और वैश्विक आकांक्षाओं का जश्न मनाया है जिसने प्रवासी भारतीयों को अमेरिकी समाज में रहते हुए अपनी जड़ों पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
डायस्पोरा से जुड़ाव का रणनीतिक महत्व
भारतीय अमेरिकी समुदाय के साथ पीएम मोदी का जुड़ाव महज प्रतीकात्मक नहीं है बल्कि इसका रणनीतिक महत्व भी है। प्रवासी अमेरिकी राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। भारतवंशी समुदाय के कई सदस्य अमेरिकी राजनीतिक में तेजी से अपनी अहम जगह बना रहे हैं। कई भारतीय प्रवासी अब अमेरिकी सरकार में प्रमुख पदों पर हैं। इनमें उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, गवर्नर निक्की हेली, कांग्रेस में भारतीय मूल के पांच सांसदों के अलावा प्रशासन में कई दर्जन वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
अमेरिका के व्यापारिक एवं शिक्षा जगत में भारतीय डायस्पोरा का योगदान भी भारत को अमेरिका के साथ संबंधों में महत्वपूर्ण सॉफ्ट पावर का दर्जा प्रदान करता है। भारतीय अमेरिकी सदस्य टेक सेक्टर, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आंत्रप्रेन्योरशिप में अग्रणी हैं। उनकी सफलता की कहानियां दोनों देशों के साथ प्रतिध्वनित होती हैं। मोदी ने भारत की वैश्विक छवि को मजबूती देने और अमेरिका से द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए इस सॉफ्ट पावर का बखूबी लाभ उठाया है।
एक स्थायी विरासत
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्राओं का भारत-अमेरिका संबंधों और प्रवासी समुदाय पर गहरा व स्थायी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने भारतीय-अमेरिकियों को काफी प्रेरित किया है जिससे आपसी संबंधों की गहरी भावना पैदा हुई है। भारत और अमेरिका दोनों ही देश एक नए उभरते और जटिल वैश्विक परिदृश्य से गुजर रहे हैं। दोनों देशों को एक साथ लाने की मोदी की क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। उनकी यात्राओं से तैयार राजनयिक व सांस्कृतिक सेतु ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ाया है बल्कि भारतीय डायस्पोरा को आपसी संबंधों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रेरित किया है।
इन मजबूत संबंधों के साझा लाभ चाहे वो रक्षा सहयोग में हो, या तकनीकी सहयोग में या फिर सांस्कृतिक आदान-प्रदान में, बहुत स्पष्ट हैं। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है। वह अमेरिका का एक मजबूत सहयोगी बनकर सामने आया है। मोदी के प्रयासों ने स्थायी साझेदारी की ऐसी मजबूत नींव रखी है जो आने वाले दशकों में वैश्विक मुद्दों को आकार देने वाली साबित होगी।
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