भारतीय मूल के फिरोज मर्चेंट दुबई में एक बड़े बिजनेसमैन हैं। उन्होंने दुबई की जेलों में बंद 900 कैदियों की रिहाई का बीड़ा उठाया है। इसके लिए उन्होंने 2 करोड़ 25 लाख रुपये का दान दिया है। फिरोज के इस नेक काम की पूरे अरब समेत भारत में काफी तारीफ हो रही है। 2008 से लेकर अब तक उन्होंने पूरे संयुक्त अरब अमीरात की केंद्रीय जेलों में बंद 20 हजार से ज्यादा कैदियों को रिहा कराया है।
प्योर गोल्ड ज्वेलर्स के मालिक फिरोज मर्चेंट (66) कल्याणकारी कामों और लोगों की मदद करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने रमजान के मौके पर कैदियों को रिहा कराने के साथ ही उन्हें उनके परिवार से मिलवाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए वो लगातार कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यूएई के अधिकारियों को यह पैसा दान किया, जो विनम्रता, मानवता, क्षमा और दया के पवित्र रमजान महीने के संदेश का एक वसीयतनामा है।
2008 में स्थापित द फॉरगॉटन सोसाइटी पहल के तहत फिरोज मर्चेंट इस साल की शुरुआत से संयुक्त अरब अमीरात में 900 कैदियों की रिहाई में लगे हुए हैं। इनमें अजमान के 495 कैदी, फुजैरा के 170 कैदी, दुबई के 121 कैदी, उम्म अल क्वैन के 69 कैदी और रास अल खैमाह के 28 कैदी शामिल हैं। पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर संयुक्त अरब अमीरात के केंद्रीय जेलों में मर्चेंट पहले भी विभिन्न संप्रदायों, राष्ट्रीयताओं के 20,000 से अधिक कैदियों की रिहाई प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
बताया गया है कि फिरोज न सिर्फ कैदियों को रिहा कराते हैं, उनका कर्ज और जुर्माना भरते हैं, बल्कि उन्हें अपने देश वापस भेजने के लिए हवाई टिकट भी मुहैया कराते हैं। मर्चेंट का कहना है कि उन्होंने इस मिशन की शुरुआत इस बात को ध्यान में रखते हुए की थी कि यूएई सहिष्णुता को प्राथमिकता देता है जिससे कैदियों को अपने परिवारों के साथ फिर से जुड़ने का दूसरा मौका मिल सके।
उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य 2024 में 3,000 से अधिक कैदियों की रिहाई की सुविधा प्रदान करना है। मर्चेंट की मदद करने वाले हाथ को शासन द्वारा मान्यता दी गई है। उनकी दयालुता, क्षमा और उदारता ने उन्हें संयुक्त अरब अमीरात के सीनियर सरकारी अधिकारियों से प्रशंसा हासिल की है।
उनका कहना है कि मैं सरकारी अधिकारियों के साथ जुड़े होने के लिए बहुत भाग्यशाली हूं। फॉरगॉटन सोसाइटी इस सोच पर आधारित है कि मानवता हर तरह की सीमाओं से परे है। हम उन्हें अपने देश और समाज में अपने परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने की संभावना प्रदान करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
अजमान के उप निदेशक कर्नल मोहम्मद यूसुफ अल-मटरोशी ने फिरोज मर्चेंट के इस नेक काम की तारीफ की है। उनका कहना है कि कैदियों की मदद करके उनके पुनर्वास के प्रति ऐसी प्रतिबद्धता और चिंता करना कम ही देखने को मिलती है। फिरोज लगातार कैदियों को रिहा कराने और उनकी जिंदगी को दोबारा से बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके इस नेक काम में साथ काम करना गर्व की बात है।
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