लंदन की रहने वाली भारतीय मूल की आयशा देसाई ने बचपन में क्रिसमस की रोशनी में शहर को लहलहाते देखा था। एक बच्ची के रूप में बचपन में मिली उत्सव की इस खुशी और उल्लास ने उन्हें प्रेरित किया। वह इसे और विस्तार देना चाहती थी। आयशा देश भर के मुस्लिम समुदाय के लिए ऐसा ही अनुभव बनाना चाहती थी। उन्होंने इस्लामी प्रतीकों के साथ रोशनी का इस्तेमाल करते हुए शहर को रोशन कर दिया। इस तरह रमजान के महीने के दौरान इस्लामी परंपराओं का जश्न मनाने के लिए अभिनव दृष्टिकोण को लेकर लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
अपनी 'रमजान लाइट्स यूके' पहल के लिए उन्हें यूके पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। देसाई ने कम्युनिटी सर्विस और सांस्कृतिक संवर्धन कटैगिरी के तहत पॉइंट ऑफ लाइट पुरस्कार-23 जीता। देसाई की पहल 'रमजान लाइट्स यूके', मध्य लंदन में क्रिसमस रोशनी के साथ उनके बचपन की आकर्षक यादों से प्रेरित था।
कोरोना महामारी के दौरान उत्पन्न चुनौतियों के बीच उन्होंने क्राउडफंडिंग की और लंदन में कोवेंट्री स्ट्रीट के साथ 30,000 से अधिक लाइट्स का प्रदर्शन किया, जिससे 61 मून बने। उनका लक्ष्य अपनी पहुंच का विस्तार करने और रमजान के आनंद और भावना को व्यापक लोगों तक पहुंचाना जारी रखने के लिए 75,000 यूरो जुटाना है।
स्थानीय सांसद माइक फ्रीर ने समुदाय के लिए आयशा की सेवा की सराहना की। उन्होंने लोगों को एकजुट करने और सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने के लिए देसाई के पहल की प्रशंसा की। फ्रीर ने कहा कि मैं आयशा देसाई को प्रधानमंत्री के पॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार हासिल करने के रूप में बधाई देना चाहता हूं। मैं कम्युनिटी सर्विस के लिए उनकी सराहना करता हूं। वह इस पुरस्कार के लिए पूरी तरह से योग्य हैं।
आयशा ने पुरस्कार मिलने पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 'रमजान लाइट्स' हमारे पड़ोसियों के साथ रमजान की खुशी और भावना को साझा करने के साथा आधुनिक ब्रिटेन की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने के लिए है। उन्होंने कहा कि मैं इस पुरस्कार को स्वीकार करके खुश हूं और ब्रिटिश मुस्लिम समुदाय को सलाम करता हूं, जिन्होंने शुरुआत से ही मेरे काम का समर्थन किया है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login