ADVERTISEMENTs

स्कूल में नमाज पर रोक सही, कोर्ट के फैसले की भारतवंशी प्रिंसिपल ने की तारीफ

प्रिंसिपल कैथरीन बीरबल सिंह ने कहा कि किसी भी स्कूल को वह हर कदम उठाने की आजादी मिलनी चाहिए जो उसके विद्यार्थियों के लिए सही है। संस्थानों को किसी एक छात्र या उसके अभिभावक की प्राथमिकताओं पर अपना नजरिया बदलने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा है कि लंदन के माइकेला कम्युनिटी स्कूल में नमाज पर रोक में कुछ गलत नहीं है। / image : Wikipedia

ब्रिटेन के हाई कोर्ट में अपने हालिया फैसले में उत्तर पश्चिम लंदन के माइकेला कम्युनिटी स्कूल में नमाज पर रोक के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट के इस फैसले की भारतीय मूल की स्कूल प्रिंसिपल कैथरीन बीरबलसिंह ने तारीख की है। 

स्कूल की एक मुस्लिम छात्रा की तरफ से नमाज पर रोक के स्कूल के आदेश को अदालत में चुनौती दी गई थी। उसका कहना था कि ये नीति भेदभावपूर्ण है और यह उसकी आस्था को प्रभावित करती है। 
 



जस्टिस थॉमस लिंडेन की अदालत ने छात्रा के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि जब उसने स्कूल में दाखिला लिया था, तब उसने अपनी आस्था प्रकट करने पर रोक के नियमों के प्रति सहमति दी थी। जस्टिस लिंडेन का कहना था कि प्रार्थना नीति में कुछ गलत नहीं है और इसका उद्देश्य स्कूल में मुस्लिम विद्यार्थियों के अधिकारों पर रोक नहीं है। 

अदालती फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रिंसिपल कैथरीन बीरबल सिंह ने कहा कि किसी भी स्कूल को वह हर कदम उठाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए जो उसके विद्यार्थियों के लिए सही हैं। संस्थानों को एक छात्र और उसके अभिभावक की प्राथमिकताओं के आधार पर अपना नजरिया बदलने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।



एजुकेशन सेक्रेटरी गिलियन कीगन ने बीरबल सिंह के बयान के अनुरूप कहा कि हेड टीचर अपने स्कूलों के अंदर निर्णय लेने की आजादी होनी चाहिए। 
माइकेला एक उत्कृष्ट संस्थान है और आशा है कि अदालत का यह फैसला पूरे देश में स्कूलों को अपने विद्यार्थियों के सर्वोत्तम हितों को प्राथमिकता देने के लिए सशक्त करेगा।

बता दें कि लंदन हाईकोर्ट ने स्कूल में अलग अलग धर्मों की प्रार्थना पर रोक की नीति, मानवाधिकारों पर यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 9 और समानता अधिनियम 2010 की धारा 19 के खिलाफ नहीं है। 
 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

Related