भारतीय मूल के आयरिश प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने व्यक्तिगत और राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए 20 मार्च की सुबह अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वराडकर ने आयरलैंड के पहले खुले तौर पर समलैंगिक प्रधानमंत्री के रूप में 2017 में पहली बार पदभार ग्रहण करते समय तमाम बाधाएं तोड़कर सबको चौंका दिया था। उनकी विरासत भारतीय है।
इस्तीफे के बाद वराडकर ने कहा कि मैं जानता हूं कि इससे कई लोगों के लिए आश्चर्य हुआ होगा और कुछ के लिए निराशा हुई होगी लेकिन मुझे उम्मीद है कि आप मेरे फैसले को समझ सकेंगे। उन्होंने तब तक पद पर बने रहने की बात कही है जब तक कि उनकी पार्टी, फाइन गेल को कोई नया नेता नहीं मिल जाता।
आयरलैंड की संसद के निचले सदन में एक बैठक के दौरान इज़राइल-हमास युद्ध के बीच 17 मार्च को सेंट पैट्रिक दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ उनकी मुलाकात को लेकर वराडकर की जमकर आलोचना की गई थी। वराडकर ने क्षेत्र में मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया था। ।
लेकिन आलोचकों ने फिर भी बाइडन के साथ मुलाकात के लिए उन पर निशाना साधा। इसलिए क्योंकि बाइडन संघर्ष जारी रखने के लिए इजराइल को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस संघर्ष में अब तक 31,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। क्षेत्र में काम कर रही कई राहत एजेंसियों ने गाजा में बड़े अकाल की आशंका जताई है क्योंकि भोजन, पानी और चिकित्सा आपूर्ति अब भी अवरुद्ध है।
व्हाइट हाउस सेंट पैट्रिक दिवस पर आयरिश प्रधानमंत्री के साथ बैठक को ताओसीच के रूप में जाना जाता है। यह बैठक एक समय-सम्मानित परंपरा है जो 1952 से चली आ रही है। परंपरा के अनुसार ताओसीच राष्ट्रपति को एक शेमरॉक भेंट करता है जो सौभाग्य और संपदा का आयरिश प्रतीक है।
बाइडेन-वराडकर की मुलाकात व्हाइट हाउस में हुई थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने खुद को एक 'गर्वित आयरिश अमेरिकी' बताया था। गाजा संघर्ष के मद्देनजर आलोचकों का कहना था कि वराडकर को इस बैठक का बहिष्कार करना चाहिए था। आलोचकों ने स्पष्ट तौर पर वराडकर से कहा था कि क्या उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा था कि वे इजराइल का खुलेआम समर्थन क्यों कर रहे हैं।
एक डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित वराडकर भारत के मुंबई शहर में जन्मे चिकित्सक अशोक वराडकर के बेटे हैं जो 1960 के दशक में आयरलैंड चले गए थे। वराडकर की मां मिरियम हॉवेल एक नर्स थीं।
2017 में पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद सैन फ्रांसिस्को में इस रिपोर्टर के साथ एक संक्षिप्त साक्षात्कार में वराडकर ने कहा था कि भारत बहुत अच्छा कर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है। उन्होंने भारत की जीडीपी को देश की तेजी से बढ़ती आर्थिक सफलता का पैमाना बताया था। वराडकर के नेतृत्व में आयरलैंड आक्रामक रूप से भारतीय उद्यमियों, निवेशकों और तकनीकी प्रतिभाओं को देश में व्यापार करने के लिए आकर्षित करता रहा है।
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