इंग्लैंड में भारतीय मूल के एक बाबा पर अपनी शिष्याओं के यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा है। 68 वर्षीय राजिंदर कालिया के खिलाफ लंदन के हाई कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है। बाबा ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजिंदर कालिया के खिलाफ रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लाखों पाउंड का मुकदमा दायर किया गया है। जस्टिस मार्टिन स्पेंसर की अदालत में पिछले सप्ताह मुकदमे पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। इसके अगले सप्ताह पूरी होने की संभावना है। आने वाले महीनों में फैसला भी आ सकता है।
राजिंदर कालिया पर अपने अनुयायियों को प्रभावित करने के लिए उपदेशों और शिक्षाओं के साथ-साथ कथित 'चमत्कारों' का दिखावा करने का भी आरोप लगाया गया है। ये भी कहा गया है कि बाबा राजिंदर कालिया खुद को धरती पर भगवान का अवतार बताता था।
कालिया ने एक बयान में कहा है कि मेरे ऊपर लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से झूठे और हैरान करने वाले हैं। मुझे लगता है कि मेरे खिलाफ बड़ी साजिश रची गई है। मुझे यकीन है कि सच्चाई जल्द सामने आ जाएगी। मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण समय में मुझे और मेरे परिवार का साथ दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि राजिंदर कालिया जनवरी 1977 में भारत से ब्रिटेन चले गए थे। कोवेंट्री में जमीन खरीदने के बाद 1983 में अपने घर से उपदेश देना शुरू किया। 1986 में उन्होंने बाबा बालक नाथ के एक मंदिर की स्थापना की। सिद्ध बाबा बालक नाथ जी सोसाइटी ऑफ कोवेंट्री इंग्लैंड के चैरिटी कमीशन में पंजीकृत है। ट्रस्टी और स्वयंसेवक इसका संचालन करते हैं।
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, मंदिर में सप्ताह में तीन बार मुफ्त भोजन परोसा जाता है। समुदाय के बुजुर्गों की मदद की जाती है। ऐसा करने वाले गुरु राजिंदर कालिया के शिष्य होते हैं, जो खुद को भगवान 'जिंदर दास' का सेवक बताते हैं। महिला सेवादारों का आरोप है कि मंदिर में गुरु जी के कमरे में कई वर्षों तक उनका नियमित शोषण किया गया। गंभीर यौन हमले किए गए।
अदालत को बाबा के हवाले से बताया गया है कि पंजाब में जन्मे कालिया का किशोरावस्था में एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में पैर टूट गया था। डॉक्टरों ने कहा था कि वह कभी चल नहीं चल पाएंगे। हालांकि हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के देवसिद्ध में बाबा बालक नाथ के मूल स्थान की यात्रा के बाद उन्होंने पाया कि वह बिना बैसाखी के चल सकते हैं। उनका मानना है कि यह एक चमत्कार था और इसने बाबा बालक नाथ के प्रति उनके विश्वास को बढ़ाया।
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