भारतीय मूल के एक अमेरिकी डॉक्टर को कोलोनोस्कोपी की दो असफल प्रॉसिजर के बाद जुर्माना लगाते हुए प्रोबेशन पर रखा गया है। इसमें से एक मामले में उन्होंने मरीज की चीखों पर कोई ध्यान नहीं दिया था क्योंकि उन्होंने कान की सुनने की मशीन नहीं लगा रखी थी।
उनका नाम ईश्वरी प्रसाद है। वह 84 साल के हैं। फ्लोरिडा स्वास्थ्य विभाग में दायर शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि एक प्रॉसिजर के दौरान उन्होंने एक गैरलाइसेंसी सर्जिकल तकनीशियन से महत्वपूर्ण कार्य कराया था। इस टेक्निशियन ने पर्याप्त मेडिकल ट्रेनिंग नहीं ली थी। इसके बावजूद उससे कोलोनोस्कोपी के स्कोप में हेरफेर करने को कहा था।
दूसरी घटना में डॉ प्रसाद ने रोगी को पूरी तरह बेहोश करने से पहले ही कोलोनोस्कोपी शुरू कर दी थी। रोगी दर्द में चिल्लाता रहा लेकिन डॉक्टर प्रॉसिजर करते रहे क्योंकि उन्होंने कान की सुनने की मशीन नहीं पहनी थी।
मियामी हेराल्ड के अनुसार, रोगी की IV लाइन में समस्या थी जिसकी वजह से वह दवाई देने के बावजूद पूरी तरह बेहोश नहीं हुआ था। दोनों घटनाएं टैम्पा एम्बुलेटरी सर्जरी सेंटर में हुई थीं।
इन शिकायतों की जांच के बाद फ्लोरिडा बोर्ड ऑफ मेडिसिन ने डॉ ईश्वरी प्रसाद को प्रोबेशन पर रखा है और 7,500 डॉलर का जुर्माना लगाया है। उन पर 6,301 डॉलर की कॉस्ट भी लगाई गई है। उन्हें पांच घंटे का मेडिकल एथिक्स कोर्स पूरा करना होगा। जब तक वह सुपरविजन में 10 गैस्ट्रोएंटरोलॉजी प्रॉसिजर पूरा नहीं कर लेते, तब तक उनके खुद प्रॉसिजर करने पर रोक रहेगी।
द मियामी हेराल्ड के अनुसार, जांच में यह भी पाया गया कि सर्जिकल टेक्निशियन अक्सर अपनी ट्रेनिंग से आगे जाकर काम करता था। यह सब डॉ प्रसाद द्वारा अपना काम खुद न कर पाने की वजह से होता था। प्रसाद से कहा गया है कि उन्हें अगले साल 7 अगस्त तक अनिवार्य कोर्स पूरा करना होगा।
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