भारतीय मूल की अभिनेत्री अमृत कौर को 2024 कनाडाई स्क्रीन अवार्ड्स में प्रमुख भूमिका (नाटक) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार मिला है। उन्हें फ़ौजिया मिर्ज़ा की 'द क्वीन ऑफ माई ड्रीम्स' में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया है।
अपने पुरस्कार स्वीकृति भाषण के दौरान कौर ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपना रुख खुलकर जाहिर किया। इस मसले पर कौर का संवाद तब से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सार्वजनिक होने का उनका साहस व्यापक प्रशंसा भी अर्जित कर रहा है।
अपने भाषण में कौर ने उपनिवेशीकरण के स्थायी प्रभाव पर प्रकाश डाला और इसके कारण पैदा हुए विभाजन और संघर्ष पर दुख जताया। कौर ने कहा कि मैं बलिदान देने और मानवता के प्रति घृणा में जीने से इनकार करती हूं। तत्काल युद्धविराम किया जाए। जोखिमों के बावजूद कलाकारों की सहानुभूति रखने और बोलने की ज़िम्मेदारी पर जोर देते हुए कौर ने कहा कि फिलिस्तीन को मुक्त करो।
कौर ने कहा कि एक कलाकार होने के नाते यह एक डरावना समय है। मैं डरती हूं। मुझे बोलने से डर लगता है। लेकिन यह सम्मान मुझे याद दिलाता है कि मैं एक कलाकार हूं और एक कलाकार के रूप में महसूस करना और सहानुभूति व्यक्त करना मेरा काम है।
कलाकारों को बोलने के खिलाफ चेतावनी देने वालों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- आप में से जो हम कलाकारों को नौकरी खोने के डर से, करियर खत्म होने के डर से, प्रतिष्ठा खोने के डर से नहीं बोलने के लिए कह रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप हमसे कह रहे हैं कि कलाकार मत बनो।
कौर का भाषण सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से गूंज उठा है। 28,000 से अधिक लाइक्स मिले और सामाजिक न्याय की वकालत करने में कलाकारों की भूमिका के बारे में बातचीत छिड़ गई है। समर्थन के संदेश आने लगे हैं। गाजा के एक निवासी ने कौर की एकजुटता के लिए आभार व्यक्त किया।
कौर की बात ऐसे समय में आई है जब मशहूर हस्तियों को समान विचार व्यक्त करने के लिए नतीजों का सामना करना पड़ता है। अभिनेत्री मेलिसा बर्रेरा को पिछले साल एक प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया गया था जबकि निकोला कफलान को गाजा के सार्वजनिक समर्थन के लिए कैरियर को लेकर गंभीर चेतावनियों का सामना करना पड़ा था।
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