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भारत के खिलाफ विभाजनकारी एजेंडा अपनाता है USCIRF, आईएमएफ का बड़ा आरोप

इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन ने USCIRF द्वारा भारत की तुलना अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे देशों से किए जाने की तीखी आलोचना की और कहा कि इस अमेरिकी आयोग की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आती है।

आईएमएफ ने भारत को लेकर USCIRF की रिपोर्ट की तीखी आलोचना की है। /

इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन (आईएमएफ) ने यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) की कड़ी आलोचना करते हुए उस पर भारत को कठघरे में खड़ा करने के लिए गुमराह करने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने का आरोप लगाया है।

इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन ने USCIRF पर धार्मिक विभाजनकारी एजेंडा अपनाने का आरोप लगाते हुए भारत की तुलना अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे सत्तावादी सरकारों से किए जाने पर तीखी आलोचना की। कहा कि यह तुलना भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को अनदेखा करके की गई है। इससे USCIRF की विश्वसनीयता कमजोर हो जाती है।



इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन ने एक बयान में कहा कि USCIRF का भारत पर अफगानिस्तान, क्यूबा, उत्तर कोरिया, रूस और चीन जैसे सत्तावादी शासन का ठप्पा लगाने की कोशिश भारत के लोकतांत्रिक ढांचे, जीवंत नागरिक समाज और बहुलवादी इतिहास की अनदेखी करती है। 

गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा जारी USCIRF की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में भारत को विशेष चिंता वाला देश बताते हुए आरोप लगाया गया है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के खिलाफ अभद्र भाषा, धर्मांतरण विरोधी कानून का इस्तेमाल, उनके घरों व पूजा स्थलों को ध्वस्त करने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट की आलोचना करते हुए इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन ने सवाल किया कि USCIRF संघर्ष के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है या सौहार्द के साधन के तौर पर। उसने ब्लिंकन पर भी पक्षपात का आरोप लगाया। आईएमएफ ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि ब्लिंकन ने वाशिंगटन डीसी में अपनी एक हालिया टिप्पणी में धर्मांतरण विरोधी कानूनों में बढ़ोतरी की बात कही थी, जबकि रिपोर्ट में बताई गई अवधि के दौरान किसी भी राज्य में कोई नया कानून पारित नहीं किया गया था।

आईएमएफ ने जोर देकर कहा कि USCIRF की रिपोर्ट ऐसे गैर-सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं से कुछ ज्यादा ही प्रभावित लगती है, जिन्होंने धर्म या धार्मिक पहचान से असंबंधित नियमों का सामना किया है। यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट में धार्मिक स्वतंत्रता के संबंध में भारत की एकता व क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान की कमी है। 

आईएमएफ ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा को सांप्रदायिक मोड़ देकर USCIRF की रिपोर्ट ने बहुत खतरनाक रेखा खींच दी है। इसमें मैतेई को हिंदू और कुकी समुदाय के लोगों को को ईसाई बताया गया है ताकि मणिपुर में जातीय विभाजन को बढ़ाया जा सके। 

संगठन ने कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर USCIRF के रुख की भी आलोचना करते हुए कहा कि यूएससीआईआरएफ यह स्वीकार करने में विफल रहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का उद्देश्य जम्मू कश्मीर को बाकी भारत से निकटता से जोड़ना, वहां आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और सभी निवासियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना है।

आईएमएफ ने खालिस्तानी आंदोलन का जिक्र करने के लिए 'अंतरराष्ट्रीय दमन' जैसे शब्द का इस्तेमाल करने के लिए भी USCIRF की आलोचना की। उसनने कहा कि मुद्दे को धार्मिक स्वतंत्रता के रूप में पेश करके USCIRF की टिप्पणियां बताती हैं कि उसके मिशन में कितना कुछ गलत है।

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